महादेव बेटिंग स्कैम (Mahadev Betting Scam) इस समय सुर्खियों में छाया हुआ है और इसकी जद में बड़े-बड़े फिल्मी सितारे भी आ चुके हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस घोटाले की जांच कर रही है। ईडी की इस जांच के चलते सौरभ चंद्राकर (Saurabh Chandrakar) को जानने-पहचानने वाले लोग भी खुलकर इस मामले में बातचीत करने से घबरा रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं वह भी ED की नजर में न आ जाएं। सौरभ चंद्राकर वही शख्स है जिसने महादेव बेटिंग ऐप शुरू किया था और हजारों करोड़ के घोटाले की जड़ छत्तीसगढ़ के भिलाई में है। हालांकि कोई भी खुलकर बात नहीं करना चाहता है और भिलाई के आकाशगंगा कॉम्प्लेक्स में किसी भी शख्स से सौरभ के बारे में पूछा जाए तो वह सूरज मोबाइल की तरफ उंगली दिखा दे रहा। स्थानीय लोगों के मुताबिक सौरभ यहीं अकसर आया करता था।
क्रिकेट में दिलचस्पी से सट्टेबाजी के गलियारे तक
कॉम्प्लेक्स के मेन गेट के पास एक पान की दुकान पर कुछ लोगों ने सौरभ को 2019 से ही जानने का दावा किया लेकिन सभी बिना अपना नाम सामने लाए ही उसके बारे में बता रहे हैं। एक शख्स ने बताया कि उसके पिता नगर निगम में काम करते थे। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति औसत ही थी और खुद उनके परिवार के भी किसी सदस्य को अंदाजा नहीं रहा होगा कि सौरभ के पास कितने पैसे आने वाले हैं। आकाशगंगा कॉम्प्लेक्स के पास ही नगर निगम की बिल्डिंग है। यहीं एक हिमालय बिल्डिंग है जिसमें स्थानीयों के मुताबिक सट्टेबाजों का आना-जाना होता था। सौरभ की क्रिकेट में काफी दिलचस्पी थी और ED की शुरुआती जांच के मुताबिक उसकी सट्टेबाजी का सफर यहीं शुरू हुआ था।
सौरभ के दोस्त होने का दावा करने वाले एक शख्स ने जिसकी हिमालय कॉम्प्लेक्स में एक मोबाइल शॉप है, उसने बताया कि पहले उसकी दुकान वहीं थी, जहां सौरभ बैठा करता था। 8-9 महीने के लिए दोनों की रोजाना बातचीत होती थी, जब तक लॉकडाउन नहीं लग गया और उनके महादेव ऐप की आईडी तेजी से बिकने लगी। ईडी के मुताबिक सौरभ की मुलाकात कोरोना के ही दौरान रवि उप्पल से हुई। दोनों ने मिलकर महादेव बेटिंग ऐप शुरू किया। इस ऐप में स्थानीय युवकों को चेकर्स के तौर पर रखा गया जो बेटिंग पैनल के साथ तालमेल बनाते और फिर खाते पर निगरानी करते। इसमें से कुछ पैनल पंजाब और देहरादून में थे तो कुछ नीदरलैंड, यूएई जैसे कुछ देशों में। श्रीलंका, यूके और ऑस्ट्रेलिया में भी इसके नेटवर्क की जांच की जा रही है।
ईडी के मुताबिक रवि ने कोलकाता के हवाला ऑपरेटर विकास चपारिया को विदेशी हवाला कारोबार संभालने के लिए इस ऐप की कोर टीम में शामिल किया। ऐप से जो भी फायदा होता था, उसे प्रमोटरों और स्थानीय ऑपरेटरों के बीच 70-30 के अनुपात में बांटा जाता था। इन पैसों को विदेशी पोर्टफोलियो के जरिए शेयर मार्केट में खपाया गया तो मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा कथित तौर पर 'जूस फैक्ट्री' नामक फास्ट फूड चेन में भी लगाया गया जिसकी देश भर में 14 फ्रेंचाइजी शुरू की गई।
सौरभ के एक पुराने जानकार ने बताया कि सौरभ ने इस जूस फैक्ट्री शुरू की और फिर शाम को स्नैक्स बेचने वाली चौपाटी में निवेश किया। जल्द ही वह दुबई चला गया और फिर पूरे परिवार को ही वहीं बुला लिया। ED के छापे के बाद नेहरु नगर की जूस फैक्ट्री 7 अक्टूबर को बंद हो गई थी लेकिन यह फिर खुल चुकी है और अच्छी-खासी भीड़ भी यहां हो रही है। मोबाइल मार्केट के एक कारोबारी ने कहा कि सौरभ की शादी तक सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन जिस तरह से उन्होंने अपनी शादी पर फिजूलखर्ची की, उससे सारा ध्यान आकर्षित हुआ और आखिरकार पूरा खेल खुल गया। सौरभ की शादी में 200 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
चुनावों पर कितना डालेगा असर यह मुद्दा?
महादेव बेटिंग स्कैम ऐसे समय में सामने आया है, जब छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का आरोप है कि महादेव ऐप के प्रमोटरों सौरभ और रवि को राज्य के टॉप नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स की मदद मिली हुई थी। उन्होंने इस घोटाले का कनेक्शन मुख्यमंत्री आवास से भी जोड़ा है। इस बीच एक चुनावी दौरे में गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा के सत्ता में आने पर मामले की जांच का वादा किया और कहा कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
वहीं भिलाई के लोगों का मानना है कि यह घोटाला सुर्खियां तो बन सकता है, लेकिन यह चुनावी मुद्दा नहीं है। फाइनेंस सेक्टर में काम करने वाले एक शख्स ने अफसोस जताया कि स्टील फैक्ट्री और टॉप इंजीनियर्स और डॉक्टर्स के लिए मशहूर भिलाई आज बदनाम हो रहा है। उन्होंने कहा कि चौंकाने वाला तो यह है कि भिलाई का लड़का इतना बड़ा घोटाला कर सकता है, लेकिन यह चुनावी मुद्दा नहीं है। यहां तो महंगाई, बेरोज़गारी और विकास ही मुद्दे हैं।