बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक 20 साल पुराने फैसले को पलट दिया है। इससे सजा काट रहे लोगों को बरी कर दिया गया है। दरअसल महाराष्ट्र की औरंगाबाद बेंच ने एक व्यक्ति और उसके परिवार को कई मामलों में क्रूरता के लिए दोषी ठहराया था। इसमें व्यक्ति और उसके परिवार पर आरोप लगे हुए थे। इन आरोपों में बहू पर ताना मारना, टीवी नहीं देखने देना, दरी या कालीन पर सुलाने जैसे आरोप शामिल थे। लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे पलट दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि IPC की धारा 498A के तहत क्रूरता के अपराध नहीं माने जाएंगे।