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चंद्रयान-3 की सफलता में ISRO के वैज्ञानिक ही नहीं, शाम 5 बजे मिलने वाली फिल्टर कॉफी और मसाला डोसा ने भी निभाया अहम रोल

जब चंद्रयान-3 एक असंभव काम को संभव बनाने के लिए चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब ISRO के वर्कफोर्स के पास वित्तीय प्रोत्साहन नहीं था। पत्रकार बरखा दत्त ने The Washington Post के लिए एक ओपिनियन पोस्ट में बताया कि ऐसे समय किस चीज ने टीम को आगे बढ़ाया। मिशन से जुड़े एक वैज्ञानिक वेंकटेश्वर शर्मा बताते हैं, "हमने हर शाम 5 बजे मुफ्त मसाला डोसा और फिल्टर कॉफी की पेशकश करके इसे पूरा किया

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 01, 2023 पर 8:34 PM
चंद्रयान-3 की सफलता में ISRO के वैज्ञानिक ही नहीं, शाम 5 बजे मिलने वाली फिल्टर कॉफी और मसाला डोसा ने भी निभाया अहम रोल
चंद्रयान-3 की सफलता में फिल्टर कॉफी और मसाला डोसा की अहम भूमिका

भारत के मून मिशन (Moon Mission) की आश्चर्यजनक उपलब्धि के बीच, प्रशंसा और सुर्खियों के नीचे दबी एक अंदर की कहानी भी है, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के भीतर से निकल कर सामने आई है। ये किस्सा चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफलता और शाम 5 बजे के एक साधारण मसाला डोसा (Masala Dosa) से जुड़ा है, जिसने मिशन कामयाब बनाने में एक अहम भूमिका निभाई है।

जब चंद्रयान-3 एक असंभव काम को संभव बनाने के लिए चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब ISRO के वर्कफोर्स के पास वित्तीय प्रोत्साहन नहीं था। पत्रकार बरखा दत्त ने The Washington Post के लिए एक ओपिनियन पोस्ट में बताया कि ऐसे समय किस चीज ने टीम को आगे बढ़ाया।

मिशन से जुड़े एक वैज्ञानिक वेंकटेश्वर शर्मा बताते हैं, "हमने हर शाम 5 बजे मुफ्त मसाला डोसा और फिल्टर कॉफी की पेशकश करके इसे पूरा किया।" चंद्रयान-3 मिशन पर काम करने के लिए लोगों को ज्यादा समय तक रोकने के लिए शाम 5 बजे फ्री में फिल्टर कॉफी और मसाला डोसा दिया जाता था।

उन्होंने बताया कि इससे लोगों को काफी प्रेरणा मिली, क्योंकि सभी ने अपनी इच्छा से अतिरिक्त घंटे निवेश किए। "अचानक, हर कोई लंबे समय तक रुकने से खुश था।"

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