टाटा ग्रुप (Tata Group) में शीर्ष पोजिशन पर रहते हुए अपने शुरुआती दिनों में रतन टाटा (Ratan Tata) ने बहादुरी का ऐसा कारनामा किया था जिसने एंप्लॉयीज के बीच कंपनी की साख बढ़ा दी। मामला ये है कि एक गैंगस्टर टाटा मोटर्स (Tata Motors) का कारोबार में दिक्कतें खड़ी कर रहा था। फिर रतन टाटा ने उसे जिस तरीके से रोकने की कोशिश की थी, उसे लेकर काफी विवाद भी हुआ था लेकिन रतन टाटा ने डटकर इस स्थिति का सामना किया और आखिरी में वह गैंगस्टर पकड़ा गया। इसे लेकर एक वीडियो में रतन टाटा ने अपने फैसले को लेकर कहा था कि उन्हें इस पर कोई पछतावा नहीं है। यह वीडियो कोलंबिया बिजनेस स्कूल ने 2015 में जारी किया था और एक बार फिर अब यह तेजी से वायरल हो रहा है।
चेयरमैन बनने के 15 दिन बाद ही शुरू हो गई दिक्कतें
रतन टाटा जब चेयरमैन बने थे, उसके 15 दिन बाद ही टाटा मोटर्स में यूनियन में भारी धमाका हुआ। रतन ने कहा कि एक बाहरी शख्स था जो गैंगस्टर था, उसने तय किया कि यूनियन के पास ढेर सारा पैसा है और इस पर कब्जा करना है। उसे करीब 200 लोगों का सपोर्ट हासिल था जो फूट डालने, मार-पीट और डराने-धमकाने में आगे थे। वहीं दूसरी तरफ प्लांट में करीब 4000 ऐसे लोग भी थे जिनकी इन सबमें कोई दिलचस्पी नहीं थी। रतन टाटा ने यह स्वीकार किया कि उस समय कंपनी ने अपने वर्कर्स यूनियन को हल्के में लिया था और इसलिए कर्मचारी यह देखकर खुश थे कि हिंसा से उन्हें क्या मिलेगा।
रतन टाटा ने कहा कि उन्हें सलाह दी गई थी कि गैंगस्टर को खुश रखा जाए लेकिन उन्होंने सामना करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि पूरा मामला यह था कि यह आदमी यूनियन पर कब्जा करना चाहता था और हम उसे ऐसा नहीं करने देंगे, इसलिए हमने उसका सामना किया।अपना दबदबा बढ़ाने के लिए गैंगस्टर ने हड़ताल का आह्वान किया, जिसके बाद टाटा मोटर्स प्लांट के कर्मचारियों को अपनी सुरक्षा के डर से अपना काम बंद करना पड़ा।
फिर Ratan Tata ने कैसे किया सामना
रतन टाटा खुद जाकर कई दिनों तक प्लांट में रुके रहे। वहां उन्होंने वर्कर्स को अपना काम फिर से शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने आगे बताया कि गैंगस्टर ने टाटा मोटर्स के 400 कर्मचारियों को पीटने की भी व्यवस्था की और पुलिस "उसकी जेब में थी" यानी उसकी के साथ। हालांकि रतन टाटा के डटे रहने के चलते आखिरी में गैंगस्टर पकड़ा गया। इस घटना ने टाटा मोटर्स और उसके लेबर्स के बीच मजबूत संबंध की नींव रख दी और यह सामने लाया कि रतन टाटा अपने सिद्धांतों और वर्कर्स के कल्याण को लेकर कितने प्रतिबद्ध हैं।