खांसी की समस्या से निजात पाने के लिए जो कफ सिरप लिया जा रहा है, वह जानलेवा भी हो सकती है। हरियाणा की मेडेन फार्मा (Maiden Pharmaceuticals) की बनाई हुई कफ और कोल्ड सीरप के खिलाफ सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल (CDSCO) ने अर्जेंट जांच शुरू की है।
खांसी की समस्या से निजात पाने के लिए जो कफ सिरप लिया जा रहा है, वह जानलेवा भी हो सकती है। हरियाणा की मेडेन फार्मा (Maiden Pharmaceuticals) की बनाई हुई कफ और कोल्ड सीरप के खिलाफ सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल (CDSCO) ने अर्जेंट जांच शुरू की है।
यह जांच कंपनी की चार कफ और कोल्ड सिरप के खिलाफ शुरू हुई है और इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अलर्ट जारी करने पर शुरू किया गया है। WHO ने यह अलर्ट इस कफ सिरप के चलते गांबिया में 66 बच्चों की मौत के बाद जारी किया है।
WHO से अभी पूरी पुष्टि नहीं
एक सूत्र ने बताया कि WHO से इस संबंध में संपर्क होने के तुरंत बाद राज्य की नियामकीय संस्थाओं के साथ मिलकर CDSCO ने जांच शुरू कर दी है। हालांकि WHO ने अभी तक गांबिया में हुई मौतों का कफ सिरफ से संबंध की कोई डिटेल्स नहीं भेजी है। हालांकि सूत्र ने बताया कि WHO ने सैंपल टेस्ट के जो रिजल्ट्स भेजे हैं, उसमें 23 सैंपल का टेस्ट किया गया और चार में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया है।
शुरुआती जांच में सामने आया कि हरियाणा में सोनीपत के मेडन फार्मा को इन कफ सिरप को बनाने का लाइसेंस हासिल है। सूत्रों ने यह भी बताया कि इन कफ सिरप को अभी सिर्फ गांबिया को निर्यात किए गए हैं।
क्या है पूरा मामला
सूत्रों के मुताबिक 29 सितंबर को WHO ने भारतीय दवा नियामक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) को सूचना दी कि वह गांबिया को तकनीकी सहायता और सलाह दे रही है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक गांबिया में 66 बच्चों की मौत में ऐसी दवाइयों के इस्तेमाल की बात सामने आई है जिसमें डाईएथिलीन ग्लाईकॉल और एथिलीन ग्लाईकॉल पाया गया है। आशंका जताई जा रही है कि इनके इस्तेमाल से बच्चों की किडनी को नुकसान पहुंचा। इसके बाद CDSCO ने तुरंत एक्शन लिया।
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