Kfin Technologies IPO: देश के सबसे बड़े रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंसी केफिन टेक (Kfin Tech) का आईपीओ सोमवार 19 दिसंबर को सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया। एंकर निवेशकों के लिए यह इश्यू 16 दिसंबर को खुला था। केफिन ने सिर्फ 8 फंड हाउस को शेयर जारी किए हैं और ये भी वे फंड हाउस हैं जिन्हें केफिन सर्विसेज मुहैया कराती है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या अधिकतर फंड हाउस की अब ऑफर पर मिल रहे शेयरों में दिलचस्पी खत्म हो गई है? खुदरा निवेशक आईपीओ में पैसे लगाने से पहले देखते हैं कि इश्यू में कौन-कौन एंकर निवेशक ने पैसा लगाया हुआ है। अगर कोई जाना-माना नाम एंकर निवेशकों की लिस्ट में दिखता है तो उस इश्यू में खुदरा निवेशक पैसे लगाते हैं। आइए जानते हैं कि केफिन टेक के एंकर निवेशकों की सूची में फंड हाउसों की संख्या कम क्यों है-
महंगे वैल्यूएशन के चलते घटा आकर्षण
फाइनेंशियल सर्विस सेग्मेंट तेजी से बढ़ रहा है। ओमनीसाइंस कैपिटल के फाउंडर और चीफ स्ट्रैटजिस्ट विकास गुप्ता के मुताबिक अगले एक दशक में इसमें ग्रोथ की काफी गुंजाइश है। इसके अलावा आरटीए इंडस्ट्री का स्ट्रक्चर ऐसा है कि इसमें लगातार मुनाफा हो सकता है। हालांकि इसके बावजूद केफिन टेक का इश्यू आकर्षक नहीं दिख रहा है क्योंकि वैल्यूएशन काफी हाई है। विकास का मानना है कि अधिकतर निवेशक लिस्टिंग के बाद निवेश का फैसला लेंगे।
केफिन टेक की सर्विस लेने वाली एक म्यूचुअल फंड हाउस के मुख्य वित्तीय अधिकारी का कहना है कि केफिन टेक आईपीओ का जो भाव तय किया गया है, वह आकर्षक नहीं है। ऐसे में इस भाव पर निवेश करने का कोई तुक नहीं दिख रहा है। इस इश्यू के लिए प्राइस बैंड 347-366 रुपये है।
केफिन टेक का 1500 करोड़ रुपये का आईपीओ पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल (OFS) का है। इसके तहत कंपनी के प्रमोटर शेयरों की बिक्री करेंगे और इसके अलावा कोई भी नया शेयर नहीं जारी होगा। केफिन टेक की सर्विसेज लेने वाली एक और फंड हाउस के सीनियर अधिकारी ने कहा कि चूंकि यह इश्यू पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल का है यानी हिस्सेदारी कम करने के लिए लाया गया है, जिसके चलते इसमें निवेश आकर्षक नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि अगर कंपनी ने कारोबार बढ़ाने के लिए आईपीओ लाया होता यानी कि नए शेयर भी जारी होते तो इसमें निवेश के बारे में विचार किया जाता। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर लिस्टिंग के बाद इसमें बेहतर मौका दिखा तो वे जरूर निवेश करेंगे।
CAMS के ग्राहक होने के चलते नहीं मिला मौका
इंडस्ट्री इनसाइडर्स के मुताबिक केफिन टेक के एंकर निवेशकों की सूची में दिग्गज फंड हाउस के गायब होने की एक वजह प्रतिद्वंद्विता है। केफिन टेक की प्रतिद्वंद्वी कैम्स है। कैम्स से सर्विसेज लेने वाली एक म्यूचुअल फंड हाउस के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि प्रमोटर्स और इंवेस्टमेंट बैंकर्स एंकर लिस्ट में शेयरों को अलॉट करते समय बड़े नामों को चुनते हैं ताकि आईपीओ को आकर्षक दिखाया जा सके। हालांकि केफिन टेक के मामले में यह भी हुआ कि जो कैम्स से सर्विसेज लेते हैं, उन्हें एंकर अलॉटमेंट नहीं हुआ।
कारोबार की समझ के चलते नहीं लगाया पैसा
म्यूचुअल फंड केफिन टेक के कारोबार को अच्छी तरह समझते हैं कि क्योंकि वे या तो इससे या इसकी प्रतिद्वंद्वी कंप्यूटर ऐज मैनेजमेंट सर्विसेज (CAMS) से अपने बैक ऑफिस ऑपरेशंस के लिए सर्विसेज लेते हैं। इसका मतलब हुआ कि इन कंपनियों में पैसे लगाने पर लांग टर्म में फायदा मिलेगा या नहीं, म्यूचुअल फंड हाउस इसका आकलन करने की सबसे बेहतर स्थिति में हैं। कैम्स भी घरेलू मार्केट में सितंबर 2020 में लिस्ट हुए थे। वैल्यू रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक 20 फंड हाउस ने अपनी स्कीम के पोर्टफोलियो में कैम्स के शेयरों को जगह दी है।