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"यादव बनाम यादव की लड़ाई", सपा मुखिया अखिलेश के लिए क्यों आजमगढ़ लोकसभा है "नाक का सवाल"?

Uttar Pradesh Lok Sabha election 2024: आजमगढ़ में इस बार चुनावी लड़ाई, मुख्य रूप से दो यादव उम्मीदवारों के बीच है। वहीं दलित वोटबैंक, जीत-हार तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है। BJP ने भोजपुरी अभिनेता और मौजूदा सांसद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को मैदान में उतारा हुआ है। वहीं सपा (SP) ने धर्मेंद्र यादव पर दांव लगाया है, जो अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं

Moneycontrol Newsअपडेटेड May 25, 2024 पर 5:02 PM
"यादव बनाम यादव की लड़ाई", सपा मुखिया अखिलेश के लिए क्यों आजमगढ़ लोकसभा है "नाक का सवाल"?
Azamgarh Lok Sabha: निरहुआ ने 2022 के उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव को 8,679 वोटों से हराया था

Azamgarh Loksabha Seat Election: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ लोकसभा सीट का राजनीतिक ताना-बाना लंबे समय से मुस्लिमों और यादवों के बीच गठबंधन से बुना गया है। इस चुनावी गठजोड़ ने लगातार अखिलेश यादव को यहां जीत दिलाई है। अगर आंकड़ों की बात करें, तो इस चुनावी गठजोड़ को पिछले 20 में से 17 चुनावों में जीत मिली है, जो इसकी ताकत को साफ दिखाता है। हालांकि इस लोकसभा चुनाव में इस 'MY' समीकरण की अलग परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है। आजमगढ़ में आज 25 मई को छठवें चरण में मतदान हो रहा है।

आजमगढ़ में आज 25 मई को छठवें चरण में मतदान हो रहा है। इस बार चुनावी लड़ाई, मुख्य रूप से दो यादव उम्मीदवारों के बीच है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भोजपुरी अभिनेता और मौजूदा सांसद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को मैदान में उतारा हुआ है। वहीं समाजवादी पार्टी (SP) ने धर्मेंद्र यादव पर दांव लगाया है, जो अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं। इनके अलावा बीएसपी ने मशूद अहमद को उम्मीदवार बनाया है, जिन्होंने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। आजमगढ़ लोकसभा सीट पर कुल 9 उम्मीदवार हैं।

वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार रमेश सिंह ने कहा, "सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उपचुनाव की हार को हल्के में नहीं लिया है। इस बार अखिलेश के लिए आजमगढ़ जीतना एक मुश्किल चुनाव है और नाक का सवाल भी है।" उन्होंने कहा कि इस चुनाव की इतनी अधिक अहमियत है कि अखिलेश की पत्नी डिंपल समेत उनके परिवार के लगभद सभी सदस्य वहां चुनाव प्रचार करने उतर गए थे।

ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध आजमगढ़ को कभी अयोध्या सिंह उपाध्याय और कैफी आजमी जैसे साहित्यकारों के नाम से जाना जाता था। हालांकि बाद में आतंकवादियों और अंडरवर्ल्ड डॉन से कनेक्शन के चलते इस शहर को बदनामी का भी सामना करना पड़ा। हालांकि इसके बावजूद, इस इलाके में हाल के सालों में काफी तरक्की हुई है और इसका झुकाव शांति की ओर हुआ है।

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