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Loksabha election 2024: क्या संपत्ति के फिर से बंटवारे वाले मामले में कांग्रेस को बैकफुट पर लाने में सफल रहे हैं मोदी?

यह सब कुछ 6 अप्रैल को दिए गए राहुल गांधी के चुनावी भाषण से शुरू हुआ, जहां उन्होंने संपत्ति के फिर से बंटवारे का जिक्र किया। उस वक्त शायद वह भावनाओं में बह गए और उन्होंने 'वित्तीय और संस्थागत सर्वे' का वादा कर डाला, ताकि यह पता लगाया जा सके कि किसके पास कितनी संपत्ति है। उन्होंने 'हिंदुस्तान का धन' शब्द का इस्तेमाल किया और यह कांग्रेस के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इसे सुना जा सकता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Apr 25, 2024 पर 7:46 PM
Loksabha election 2024: क्या संपत्ति के फिर से बंटवारे वाले मामले में कांग्रेस को बैकफुट पर लाने में सफल रहे हैं मोदी?
मोदी ने सवाल किया है कि क्या कांग्रेस मुसलमान समुदाय के बीच संपत्ति का फिर से बंटवारा करेगी

यह सब कुछ 6 अप्रैल को दिए गए राहुल गांधी के चुनावी भाषण से शुरू हुआ, जहां उन्होंने संपत्ति के फिर से बंटवारे का जिक्र किया। उस वक्त शायद वह भावनाओं में बह गए और उन्होंने 'वित्तीय और संस्थागत सर्वे' का वादा कर डाला, ताकि यह पता लगाया जा सके कि किसके पास कितनी संपत्ति है। उन्होंने 'हिंदुस्तान का धन' शब्द का इस्तेमाल किया और यह कांग्रेस के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इसे सुना जा सकता है। राहुल गांधी यहीं नहीं रुके और उन्होंने कहा कि लोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से संसाधन दिया जाएगा।

सीधे तौर पर कहें, तो राहुल गांधी ने भारत में संपत्ति के बंटवारे का वामपंथी आइडिया पेश किया, जिसे अब कम्युनिस्ट देश चीन भी छोड़ चुका है। उनके इस भाषण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हमला बोला। हालांकि, इस मामले को प्रधानमंत्री ने 'अल्पसंख्यक' ट्विस्ट दे दिया, जिससे कांग्रेस रक्षात्मक मुद्रा में आ गई। राहुल गांधी ने जहां जाति के साथ-साथ गरीब-अमीर के बीच विभाजन का लाभ उठाने का प्रयास किया, वहीं मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने कांग्रेस के फुल टॉस को सीमा रेखा से बाहर भेज दिया है।

हम आपको बता रहे हैं कि बीजेपी ने किस तरह से कांग्रेस को अपने फंदे में फंसा लिया

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