यह सब कुछ 6 अप्रैल को दिए गए राहुल गांधी के चुनावी भाषण से शुरू हुआ, जहां उन्होंने संपत्ति के फिर से बंटवारे का जिक्र किया। उस वक्त शायद वह भावनाओं में बह गए और उन्होंने 'वित्तीय और संस्थागत सर्वे' का वादा कर डाला, ताकि यह पता लगाया जा सके कि किसके पास कितनी संपत्ति है। उन्होंने 'हिंदुस्तान का धन' शब्द का इस्तेमाल किया और यह कांग्रेस के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इसे सुना जा सकता है। राहुल गांधी यहीं नहीं रुके और उन्होंने कहा कि लोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से संसाधन दिया जाएगा।