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Lok Sabha Elections 2024: PM मोदी का टारगेट लोकसभा चुनाव में 'कांग्रेस का खात्मा'! I.N.D.I.A. गुट ने बताया- अतिआत्मविश्वास

Lok Sabha Elections 2024: BJP 2024 में कांग्रेस की संभावनाओं को खत्म करने के इरादे से नीतीश कुमार जैसे लोगों को वापस लाने से नहीं कतरा रही है। सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्री अमित शाह नीतीश कुमार के NDA में फिर से शामिल होने के पक्ष में थे। क्योंकि वह जानते थे कि बिहार के मुख्यमंत्री के पास दलितों और महादलितों के बीच समर्थन का एक बड़ा आधार है

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 08, 2024 पर 1:48 PM
Lok Sabha Elections 2024: PM मोदी का टारगेट लोकसभा चुनाव में 'कांग्रेस का खात्मा'! I.N.D.I.A. गुट ने बताया- अतिआत्मविश्वास
BJP मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी ने अपने भाषणों में कांग्रेस को मुख्य लक्ष्य बनाया है, क्योंकि पार्टी का लक्ष्य साफ था - कांग्रेस को खत्म करना।

Lok Sabha Elections 2024: संसद (Parliament) में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बीजेपी के लिए 370 से ज्यादा और कांग्रेस (Congress) के लिए 40 सीट से कम सीटों की भविष्यवाणी कर के लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपनी पार्टी का एजेंड सेट कर दिया है। NDA में नीतीश कुमार की JDU को सफलतापूर्वक वापस लाने के बाद BJP TDP, अकाली दल और RLD जैसे अपने पुराने सहयोगियों को भी "घर वापसी" के लिए लुभा रही है। उनका टारगेट आसान है- आने वाले चुनावों में भारतीय राजनीति में कांग्रेस की प्रासंगिकता खत्म करना। विपक्षी खेमे का मूड फीका है और कई लोग I.N.D.I.A. गुट का साथ छोड़ चुके हैं।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने बुधवार को News18 को बताया कि मोदी "अति-आत्मविश्वास में हैं और 2004 में 'शाइनिंग इंडिया' का नारा देने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी को जो झेलना पड़ा था, उन्हें भी कुछ ऐसा ही झटका लगेगा।" हालांकि, कुछ कांग्रेस नेताओं का उससे उलट मानना है कि 'कांग्रेस को लगभग 60 सीटें मिल सकती हैं और बीजेपी लगभग 320 सीटें ले जाएगी।'

नीतीश की वापसी के पक्ष में थे अमित शाह

BJP 2024 में कांग्रेस की संभावनाओं को खत्म करने के इरादे से नीतीश कुमार जैसे लोगों को वापस लाने से नहीं कतरा रही है। सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्री अमित शाह नीतीश कुमार के NDA में फिर से शामिल होने के पक्ष में थे। क्योंकि वह जानते थे कि बिहार के मुख्यमंत्री के पास दलितों और महादलितों के बीच समर्थन का एक बड़ा आधार है और कम से कम 3-4 सालों तक राजनीतिक प्रासंगिकता है, जो बिहार में BJP को मदद कर सकती है।

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