कहते हैं कि जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ, तो मां पार्वती और भगवान शिव इसी रास्ते से उनके दर्शन करने गए थे और वहीं पर हाथरसी देवी का मंदिर स्थापित हुआ। इसी मंदिर के कारण इस शहर का नाम पड़ गया हाथरस, जो अब एक लोकसभा क्षेत्र है। साल 1997 में ब्रज क्षेत्र के दो जिलों मथुरा और अलीगढ़ को काटकर ये जिला बनाया गया। हाथरस अपनी हींग के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यही नहीं यहां पर रंगों और अबीर की फैक्ट्रियां भी हैं। ये शहर प्रसिद्ध हास्य कवि काका हाथरसी का भी है, जो लिखते हैं- "गत चुनाव में हार गया तो मेरा अभ्युथान हो गया। माया का आवरण हट गया, जीव जगत का ज्ञान हो गया।" इस जिले में बालम मंदिर में प्रसिद्ध लख्खा मेला लगता है। हाथरस में इस समय चुनावी युद्ध जोरों पर है। भाजपा के इस गढ़ को समाजवादी पार्टी किसी भी कीमत पर छीन लेना चाहती है, लेकिन यह न सपा के लिए आसान है और न ही बसपा के लिए। क्या होगा इस चुनाव में? हाथरस के रामप्रसाद कहते हैं की क्या होगा? मुझे तो लगता है कि यहां पर मोदी का प्रत्याशी चुनाव जीत जाएगा।