Get App

मंदिर इकोनॉमी के मॉडल के जरिये वाराणसी को बेहतर बनाने की कोशिश कितनी सफल रही?

भारत की आध्यात्मिक राजधानी वाराणसी 1991 से भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रही है। यहां से पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद रह चुके हैं। जर्जर घाटों और संकड़ी गलियों के लिए मशहूर इस शहर का पिछले दशक में रूपांतरण देखने को मिला है। सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट को पूरे होने में दो साल लगे और इस पर तकरीबन 900 करोड़ रुपये खर्च किए गए

MoneyControl Newsअपडेटेड Apr 11, 2024 पर 7:33 PM
मंदिर इकोनॉमी के मॉडल के जरिये वाराणसी को बेहतर बनाने की कोशिश कितनी सफल रही?
विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट को पूरे होने में दो साल लगे और इस पर तकरीबन 900 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

भारत की आध्यात्मिक राजधानी वाराणसी 1991 से भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रही है। यहां से पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद रह चुके हैं। जर्जर घाटों और संकड़ी गलियों के लिए मशहूर इस शहर का पिछले दशक में रूपांतरण देखने को मिला है। सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट को पूरे होने में दो साल लगे और इस पर तकरीबन 900 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

इस कॉरीडोर का निर्माण काशी विश्वनाथ मंदिर का रास्ता सुगम बनाने के लिए किया गया, जहां जाने के लिए पहले संकड़ी गलियों से गुजरना पड़ता था। काशी विश्वनाथ कॉरीडोर और कई इंफ्रा परियोजनाओं की वजह से वाराणसी की अर्थव्यवस्था में भी बदलाव देखने को मिला है। इससे न सिर्फ कारीगरों की आमदनी बढ़ी है, जबकि स्थानीय कारोबार और इलाके की हस्तकला अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिला है।

इकोनॉमिक प्रोफाइल

उत्तर प्रदेश सरकार की वेबसाइट invest.up.gov.in. के मुताबिक, वाराणसी का जीडीपी 18,727 करोड़ रुपये है। ceicdata.com के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में इस जिले की प्रति व्यक्ति आय 62,418.579 रुपये थी, जबकि 2012 में यह आंकड़ा 28,212.825 रुपये था। Varanasi.nic.in.वेबसाइट के मुताबिक, यहां की साक्षरता दर 75 पर्सेंट है।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें