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95 कंपनियों का मार्केट कैप ₹1 लाख करोड़ के पार, अब इन सेक्टर्स से होगी इस क्लब में एंट्री

95 कंपनियों का मार्केट कैप 1 ट्रिलियन रुपये हो चुका है और 20 कंपनियां इस क्लब में शामिल होने की कगार पर हैं। जानिए कंपनियों के मार्केट कैप में इजाफा क्यों हो रहा है और यह आंकड़ा कितना बेहतर है? इसके अलावा जानिए कि आगे क्या रुझान है और किन सेक्टर्स की कंपनियां इस क्लब में एंट्री पा सकती हैं?

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Dec 27, 2024 पर 12:18 PM
95 कंपनियों का मार्केट कैप ₹1 लाख करोड़ के पार, अब इन सेक्टर्स से होगी इस क्लब में एंट्री
एनालिस्ट्स के मुताबिक 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के मार्केट कैप वाली कंपनियों की संख्या में तेजी की वजह कोरोना महामारी के बाद मजबूत आर्थिक रिकवरी है।

मार्केट में भारी उठा-पटक के बावजूद इस साल ऐसी कंपनियों की संख्या में तेज इजाफा हुआ जिनका मार्केट कैप 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। पिछले साल के आखिरी में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के मार्केट कैप वाली कंपनियों की संख्या 74 थी जोकि इस साल 2024 में बढ़कर 95 पर पहुंच गई। ये आंकड़े कितना बेहतर हैं, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के मार्केट कैप वाली कंपनियों की संख्या वर्ष 2020 में 29, वर्ष 2021 में 49 और वर्ष 2022 में 52 थी। अब 95 कंपनियों का मार्केट कैप 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।

इसके अलावा लुपिन लिमिटेड, पर्सिस्टेंट सिस्टम्स, इंडियन ओवरसीज़ बैंक, ज़ाइडस लाइफसाइंसेस, जिंदल स्टील एंड पावर, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस, और पीबी फिनटेक समेत करीब 20 और कंपनियां 1 ट्रिलियन रुपये के आंकड़े को पार करने के कगार पर हैं। इस साल 2024 के उतार-चढ़ाव में चोलामंडलम इंवेस्टमेंट, श्री सीमेंट, अदाणी एनर्जी सॉल्यूशन्स, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और इंडसइंड बैंक जैसी कुछ कंपनियां 1 ट्रिलियन रुपये के क्लब से बाहर हो गई हैं।

इन बातों से मिला सपोर्ट

एनालिस्ट्स के मुताबिक 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के मार्केट कैप वाली कंपनियों की संख्या में तेजी की वजह कोरोना महामारी के बाद मजबूत आर्थिक रिकवरी है। वित्त वर्ष 2020 में जीडीपी 5.8% की दर से सिकुड़ी थी लेकिन फिर अगले ही वित्त वर्ष 2021-22 में इसमें 9.1% तक रिकवरी हुई। FY14 से FY24 तक Nifty 50 कंपनियों का कुल मार्केट कैप सालाना 14.5% की चक्रवृद्धि दर (CAGR) से बढ़ी जो बढ़ती खपत, उत्पादन, और कारोबारी विस्तार से प्रेरित सकारात्मक आर्थिक प्रवृत्तियों को दिखाता है।

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