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अब भारत से नहीं, चीन से नोट छपवाता है नेपाल; जानिए ड्रैगन ने करेंसी गेम में कैसे हथियाई हमारी जगह

नेपाल अब अपने नोट भारत से नहीं, बल्कि चीन में छपवा रहा है। यह बदलाव सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक भी है। जानिए कैसे चीन ने करेंसी प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी, कम लागत और रणनीति के बल पर एशिया में भारत की जगह ले ली। और नेपाल ने भारत में करेंसी छपवाना क्यों बंद किया।

Edited By: Suneel Kumarअपडेटेड Nov 13, 2025 पर 11:13 PM
अब भारत से नहीं, चीन से नोट छपवाता है नेपाल; जानिए ड्रैगन ने करेंसी गेम में कैसे हथियाई हमारी जगह
आज नेपाल के सभी नोट चीन में छपते हैं।

नेपाल दशकों तक अपनी करेंसी छपवाने के लिए भारत पर निर्भर रहा। 1945 से 1955 तक नेपाल के नोट भारत के नासिक स्थित सिक्योरिटी प्रेस में छपते थे। इसके बाद भी 2015 तक भारत कुछ हद तक इस जिम्मेदारी को निभाता रहा। लेकिन 2015 में तस्वीर बदल गई। नेपाल ने करेंसी प्रिंटिंग के लिए भारत की जगह चीन को चुन लिया। इसके पीछे सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि तकनीकी और राजनीतिक वजहें भी थीं।

भारत से दूरी और चीन की ओर रुख

नेपाल के इस फैसले के पीछे एक बड़ा कारण था देश का नया नक्शा। नए नोटों में नेपाल ने लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी जैसे विवादित इलाकों को अपने हिस्से के रूप में दिखाया। ये इलाके भारत भी अपना बताता है, इसलिए भारत के लिए इन नोटों की छपाई राजनीतिक रूप से संवेदनशील थी।

जब भारत ने संशोधित करेंसी छापने से मना किया, तो नेपाल ने विकल्प तलाशे। चीन की सरकारी कंपनी ने उन्नत तकनीक और कम लागत का प्रस्ताव दिया और वही सौदा उसे मिल गया।

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