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बैंकिंग और फाइनेंशियल शेयरों के जल्द लौटेंगे अच्छे दिन, अभी निवेश करने पर होगी मोटी कमाई

आरबीआई ने करीब दो साल तक रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बनाए रखने के बाद इस साल फरवरी में इंटरेस्ट रेट में कमी की। उसने एनबीएफसी को लोन देने वाले बैंकों के लिए बढ़ाए गए रिस्क वेटेज को भी वापस ले लिया। इससे फंड की कॉस्ट में कमी आई है और एनबीएफसी के मार्जिन में इम्प्रूवमेंट दिखा है

MoneyControl Newsअपडेटेड Mar 31, 2025 पर 5:57 PM
बैंकिंग और फाइनेंशियल शेयरों के जल्द लौटेंगे अच्छे दिन, अभी निवेश करने पर होगी मोटी कमाई
सितंबर 2024 से अब तक निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज इंडेक्स करीब 4 फीसदी चढ़ा है, जबकि इस दौरान मार्केट के प्रमुख सूचकांकों में 7 फीसदी गिरावट आई है।

आम तौर पर बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर का इकोनॉमी और स्टॉक मार्केट में सबसे ज्यादा कंट्रिब्यूशन होता है। लेकिन, कोविड के बाद इकोनॉमी में रिकवरी और 2020 के स्टॉक मार्केट्स के निचले स्तर के बाद से स्थिति अलग रही है। कोविड के बाद इकोनॉमिक रिकवरी की वजह से अचानक डिमांड बढ़ गई। लेकिन रिटेल लोन की तेज ग्रोथ को छोड़ दिया जाए तो क्रेडिट ग्रोथ कमजोर रही। फाइनेंशियल स्टॉक्स के रिटर्न पर भी इसका असर पड़ा। पिछले साल सितंबर से पहले के 5 साल में निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज इंडेक्स का रिटर्न 91 फीसदी, जबकि निफ्टी 50 का रिटर्न इस दौरान 129 फीसदी था।

कंपनियों ने पूंजीगत खर्च बढ़ाने से परहेज किया

कोविड के बाद क्रेडिट ग्रोथ (Credit Growth) सुस्त रहने की बड़ी वजह कॉर्पोरेट क्रेडिट रहा है। पहले सरकार ने अपना पूंजीगत खर्च काफी ज्यादा बढ़ाया। फिर, जियोपॉलिटिकल स्थितियों और आर्थिक अनिश्चितिता को देखते हुए प्राइवेट कंपनियों ने पूंजीगत खर्च बढ़ाने से परहेज किया। इसके अलावा कंपनियों के लिए प्राइवेट इक्विटी और डेट कैपिटल के जरिए पूंजी जुटाने का आसान रास्ता उपलब्ध था। स्टॉक मार्केट्स में तेजी को देखते हुए कंपनियों को आईपीओ/एफपीओ के रास्ते फंड जुटाना फायदेमंद लगा।

क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो बढ़ने से फंड की लागत बढ़ी

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