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चीन के शेयर बाजार का फूटा बुलबुला, लंबी-अवधि के लिए पैसा नहीं लगाना चाहते निवेशक, भारत के लिए अच्छे संकेत

China Stimulus: शेयर बाजार में जो चीन का गुब्बारा बना था, वो अब फूटता दिख रहा है। हालिया आर्थिक ऐलानों के बाद विदेशी निवेशकों के मन में चीन को लेकर जो प्यार उमड़ा था, वो भी अब कम हो रहा है। यहां तक कि निवेशक अब ये कहने लगे हैं कि चीन शॉर्ट-टर्म ट्रेड के लिए तो ठीक है, लेकिन लॉन्ग-टर्म के लिए वहां निवेश करना जोखिम भरा है। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव ने भी चीन को नया टेंशन दे दिया है

Moneycontrol Newsअपडेटेड Oct 14, 2024 पर 6:55 PM
चीन के शेयर बाजार का फूटा बुलबुला, लंबी-अवधि के लिए पैसा नहीं लगाना चाहते निवेशक, भारत के लिए अच्छे संकेत
China Stimulus: चीन ने अपने नए आर्थिक प्रोत्साहन में किसी तरह के आंकड़ों या धनराशि का जिक्र नहीं किया

China Stimulus: शेयर बाजार में जो चीन का गुब्बारा बना था, वो अब फूटता दिख रहा है। हालिया आर्थिक ऐलानों के बाद विदेशी निवेशकों के मन में चीन को लेकर जो प्यार उमड़ा था, वो भी अब कम हो रहा है। यहां तक कि निवेशक अब ये कहने लगे हैं कि चीन शॉर्ट-टर्म ट्रेड के लिए तो ठीक है, लेकिन लॉन्ग-टर्म के लिए वहां निवेश करना जोखिम भरा है। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव ने भी चीन को नया टेंशन दे दिया है। भारत के लिए यह सब काफी अच्छे संकेत है। कैसे, आइए समझते हैं

चीन के शेयर बाजारों में आज भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। हुआ यह कि चीन के वित्त मंत्री ने बीते शनिवार को कई नए आर्थिक ऐलान किए। लेकिन इसमें से कोई भी ऐलान बाजार की उम्मीदों के मुताबिक नहीं था। इसके चलते खासतौर से विदेशी निवेशक काफी मायूस हैं। मार्केट एनालिस्ट्स को उम्मीद थी कि चीन के वित्त मंत्री अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में करीब 283 अरब डॉलर के नए वित्तीय प्रोत्साहनों का ऐलान कर सकते थे। लेकिन वित्त मंत्री ने अपने भाषण में किसी तरह के आंकड़ों या धनराशि का जिक्र नहीं किया।

जियोस्फेयर कैपिटल के अरविंद सेंगर ने यह काफी निराशाजनक था। अगर चीन की सरकार 283 अरब डॉलर या उससे अधिक का कुछ भी ऐलान करती तो, इसे चाइनीज स्टॉक मार्केट के लिए काफी पॉजिटिव माना जाता है। लेकिन अब तो चीन को शॉर्ट-टर्म ट्रेड के लिए देखा जा सकता है, हम लॉन्ग टर्म में इसे लेकर पॉजिटिव नहीं हैं।

इस सबके बीच आज चीन का जो इंपोर्ट-एक्सपोर्ट आंकड़े आए, वो काफी उम्मीद से कम थे। यूरोपीय यूनियन, अमेरिका और यहां तक कि भारत ने भी चीन से एक्सपोर्ट होकर आने वाले कई उत्पादों पर ड्यूटी बढ़ाई हैं। इसके चलते उसका मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर दबाव में है।

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