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शेयर बाजार में चीन के चलते कितनी गिरावट आएगी? कितना विदेशी निवेश जा सकता है बाहर

India vs China Stock Market: चीन के चलते इस समय शेयर बाजार में ऊहापोह की स्थिति मची हुई है। निवेशक और मार्केट एक्सपर्ट्स यह समझने में लगे हैं कि आखिर भारतीय शेयर बाजार से कितना पैसा निकलकर चीन के शेयर बाजार में जा सकता है? और इस बिकवाली के चलते कितनी गिरावट आ सकती है? लेकिन इस पूरे मामले में क्या निवेशकों को वाकई कोई डरने की जरूरत है?

Moneycontrol Newsअपडेटेड Oct 02, 2024 पर 7:30 AM
शेयर बाजार में चीन के चलते कितनी गिरावट आएगी? कितना विदेशी निवेश जा सकता है बाहर
India vs China Stock Market: विदेशी निवेशकों की भारत में हिस्सेदारी अभी भी 11 साल के निचले स्तर पर है

India vs China Stock Market: चीन के चलते शेयर बाजार में इस समय ऊहापोह की स्थिति मची हुई है। निवेशक और मार्केट एक्सपर्ट्स यह समझने में लगे हैं कि आखिर भारतीय शेयर बाजार से कितना पैसा निकलकर चीन के शेयर बाजार में जा सकता है। और इस बिकवाली के चलते कितनी गिरावट आ सकती है? लेकिन इस पूरे मामले में क्या निवेशकों को वाकई कोई डरने की जरूरत है? क्या चीन के शेयर बाजार में तेजी आना भारत के लिए कोई घाटे का सौदा है? आइए जानते हैं-

सबसे पहले जानते हैं कि आखिर चीन के शेयर बाजार में तेजी आ क्यों रही है? चीन ने अपनी सुस्त होती अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए कोविड के बाद के अपने सबसे बड़े राहत पैकेज का ऐलान किया है। खासतौर से उसने अपने प्रॉपर्टी मार्केट में सालों से जारी संकट को खत्म करने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। इसके चलते चाइनीज स्टॉक में पिछले महीने लगभग एक दशक की सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह तेजी इतनी टिकाऊ है कि इसके चलते विदेशी निवेश भारत से खिसक कर चीन की ओर चला जाएगा?

गोलडमैन सैक्स के एनालिस्ट्स सुनील कौल का मानना है कि इसकी संभावना कम है। सुनील कौल ने कहा कि चीन के हालिया कदम से निवेशकों को कुछ भरोसा मिला है, लेकिन चीन की अर्थव्यवस्था में अभी भी कई चुनौतियां बाकी हैं। ऐसे में वहां के स्टॉक मार्केट में आई रैली लंबे समय तक चलेगी, अ्भी यह देखना जाना बाकी बाकी है।

उन्होंने कहा कि चीन का स्टॉक मार्केट लंबे समय से चल नहीं रहा था, ऐसे में उसका वैल्यूएशन भारत जैसे दूसरे उभरते बाजारों की तुलना में अभी भी सस्ता है। इसके चलते निवेशक वहां से बड़ा ऐलान देखकर पैसा लगाने के लिए कूद पड़े। लेकिन इन ऐलानों का कितना असर होगा, यह कुछ महीने बाद के आर्थिक आंकड़ों आने पर पता चलेगा। तबके लिए यह एक बस एक टैक्टिकल रैली है और इसे लंबे बुल रन के तौर पर नहीं देखना जाना चाहिए।

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