मैक्रो इकोनॉमिक और जियोपोलिटिकल कारणों से ग्लोबल इकोनॉमी में भारी उथल-पुछल देखने को मिल रही है। इसके अलावा मंदी और स्टैगफ्लेशन की आशंका भी दुनिया भर की बड़ी इकोनॉमीज को परेशान किए हुए हैं। ऐसे में दुनिया के तमाम बड़े सेंट्रल बैंक महंगाई से निपटने के लिए ब्याज दरों में बढ़त कर रहे हैं। तमाम इंटरनेशनल एजेंसियां स्थितियों से निपटने को लिए मिलजुल के कोशिश कर रही हैं। भारतीय इकोनॉामी के ग्रोथ अनुमानों को भी की बार घटाया गया है। इसके बावजूद भारतीय इकोनॉमी के दुनिया की सबसे से तेज ग्रोथ कर रही इकोनॉमी में बने रहने की संभावना है।
