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शेयर बाजार को खतरा? FIIs ने 3 दिन में बेच दिए ₹15,000 करोड़ के शेयर, जानिए क्या हैं कारण

विदेशी निवेशकों ने कई महीनों तक लगातार पैसा निकालने के बाद अप्रैल महीने से भारतीय शेयर बाजार में खरीदारी शुरू की थी। विदेशी निवेशकों के आते ही सेंसेक्स और निफ्टी ने एक बार से रफ्तार पकड़ ली। 7 अप्रैल के बाद से अब तक सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 12 फीसदी की तेजी आ चुकी है। लेकिन अब अचानक विदेशी निवेशकों ने एक बार फिर से बिकवाली शुरू कर दी है

Edited By: Vikrant singhअपडेटेड May 23, 2025 पर 6:28 PM
शेयर बाजार को खतरा? FIIs ने 3 दिन में बेच दिए ₹15,000 करोड़ के शेयर, जानिए क्या हैं कारण
FIIs की बिकवाली के पीछे अमेरिका और जापान के बॉन्ड यील्ड्स में उछाल को मुख्य वजह माना जा रहा है

FIIs Selling: शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों यानी FIIs ने एक बार फिर से अपनी चाल बदल दी है। पिछले 3 दिनों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से करीब 15,000 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। शेयर बाजार में जो हालिया उतार-चढ़ाव देखा गया है, उसके पीछे FIIs की बिकवाली को सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है। सवाल है कि आखिर विदेशी निवेशक ऐसा क्यों कर रहे हैं और क्या इससे भारतीय शेयर बाजार को कोई खतरा है?

विदेशी निवेशकों (FIIs) ने कई महीनों तक लगातार पैसा निकालने के बाद अप्रैल महीने से भारतीय शेयर बाजार में खरीदारी शुरू की थी। विदेशी निवेशकों के आते ही सेंसेक्स और निफ्टी ने एक बार से रफ्तार पकड़ ली। 7 अप्रैल के बाद से अब तक सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 12 फीसदी की तेजी आ चुकी है। लेकिन अब अचानक विदेशी निवेशकों ने एक बार फिर से बिकवाली शुरू कर दी है। पिछले 4 कारोबारी दिनों, यानी 19 से 22 मई के बीच उन्होंने कुल 15,587 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। खासकर मंगलवार 20 मई को उन्होंने एक दिन में 10,000 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली की थी। यह पिछले दो महीनों में उनकी ओर से की गई सबसे बड़ी बिकवाली है। इसके बाद गुरुवार 22 मई को भी विदेशी निवेशकों 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेचे, जिसने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है।

तो सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसके पीछे कई ग्लोबल और घरेलू फैक्टर्स काम कर रहें हैं। सबसे बड़ी वजह है अमेरिका और जापान में बॉन्ड यील्ड्स का तेजी से बढ़ना। अमेरिका के 10 सालों वाले ट्रेजरी बॉन्ड की यील्ड हाल ही में बढ़कर 4.52 प्रतिशत तक पहुंच गई । वहीं पर उसकी 30 साल की अवधि वाले बॉन्ड की यील्ड 5.14 प्रतिशत तक जा पहुंची। इसका मतलब है कि अमेरिका की बढ़ती फिस्कल डिफिसिट से फाइनेंशियल मार्केट्स में अस्थिरता बनी हुई है। इसके चलते निवेशक अपनी पूंजी को सुरक्षित विकल्प जैसे अमेरिकी बॉन्ड में ट्रांसफर कर रहे हैं और जोखिम भरे मार्केट जैसे भारत के शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं।

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