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IndusInd Bank का इनवेस्टर सिर्फ तीन सवालों का जवाब चाहता है, क्या बैंक का मैनेजमेंट जवाब देना चाहेगा?

बैंक के बिजनेस से कई रिस्क जुड़े होते हैं। मैनेजमेंट के हर फैसले के साथ कुछ न कुछ रिस्क होता है। मैनेजमेंट को इस रिस्क के बीच फैसले लेने पड़ते हैं। इसमें यह ध्यान रखना पड़ता है कि फैसला हर कसौटी पर खरा उतर सके। इनवेस्टर्स का भरोसा बनाए रखने के लिए यह जरूरी है

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Mar 12, 2025 पर 9:59 AM
IndusInd Bank का इनवेस्टर सिर्फ तीन सवालों का जवाब चाहता है, क्या बैंक का मैनेजमेंट जवाब देना चाहेगा?
12 मार्च को शुरुआत में इंडसइंड बैंक के शेयर 7 फीसदी तक गिरे। उसके बाद उनमें रिकवरी दिखी। स्टॉक 4.46 फीसदी चढ़कर 682 रुपये पर था।

इंडसइंड बैंक के स्टॉक का प्रदर्शन बीते 6 महीनों में कमजोर रहा है। इसके कई कारण हैं। बैंक के एसेट क्वालिटी को लेकर चिंता बढ़ी थी। मार्जिन में कमी देखने को मिली थी। सबसे अहम यह कि बैंक के टॉप मैनेजमेंट को लेकर अनिश्चितता की स्थिति थी। यह 10 मार्च से पहले की बात है। 10 मार्च को नए खुलासे के बाद तो इंडसइंड के बड़े संकट में फंसने की आशंका जताई जा रही है। 11 मार्च को इसके शेयरों में जिस तरह से गिरावट आई, उससे लगता है कि इंडसइंड पर निवेशकों के भरोसे को बड़ा झटका लगा है।

अकाउंटिंग में लैप्सेज की खबर ने भरोसे को चोट पहुंचाई है 

IndusInd Bank के उदाहरण से यह संकेत मिलता है कि कोई बैंक कमजोर इकोनॉमिक साइकिल, एसेट क्वालिटी पर दबाव और मैनेजमेंट से जुड़ी अनिश्चितता का सामना कर सकता है। लेकिन, अकाउंटिंग में लैप्सेज की खबर बैंक पर निवेशकों के भरोसे को बड़ा चोट पहुंचाती है। अब एनालिस्ट्स इंडसइंड बैंक की हालिया दिक्कतों को नए नजरिए से देखने लगे हैं। पहले, सीएफओ का इस्तीफा और फिर RBI का सीईओ सुमंत कठपालिया को सिर्फ एक साल का एक्सटेंशन देना। इससे कई संकेत मिलते हैं। क्या डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में लैप्सेज और इन दोनों के बीच संबंध है? इस सवाल के जवाब के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।

बैंक ने लैप्सेज के बारे में पहले नहीं किया खुलासा

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