किसी नए IPO या इक्विटी का असेसमेंट की परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स (KPI)के जरिए किया जाता है। मार्केट रेगुलेटर सेबी का प्लान इसी Key Performance Indicators के फ्रेमवर्क में बदलाव करने का है। करीब तीन साल पहले सेबी ने ये पैरामीटर लॉन्च किया था। और अब रेगुलेटर का मकसद इसका दायरा बढ़ाने का है। इसका प्लान पुराने ट्रांजैक्शन का डिस्क्लोजर पीरियड बढ़ाकर तीन साल करने का है। ये नियम लागू होने का मतलब है कि अब कंपनियों को पिछले तीन साल के लेनदेन की जानकारी देनी होगी।