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Mahadev Betting Case: मनचाहे भाव तक चढ़ाया शेयर, ईडी ने किया ₹573 करोड़ का एसेट्स फ्रीज

Mahadev Betting Case: केंद्रीय एजेंसी ईडी ने महादेव ऑनलाइन बुक सट्टा ऐप मामले में तलाशी कार्रवाई करते हुए 3.29 करोड़ रुपये नकद जब्त किए। इसके अलावा 573 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की सिक्योरिटीज, बॉंड्स और डीमैट अकाउंट्स भी फ्रीज किए। ईडी की यह रेड 16 अप्रैल को दिल्ली, मुंबई, इंदौर, अहमदाबाद, चंडीगढ़, चेन्नई और संबलपुर में मनी लॉन्ड्रिंग (मनी लॉन्ड्रिंग) कानून, 2002 के तहत पड़ी थी

MoneyControl Newsअपडेटेड Apr 21, 2025 पर 11:11 PM
Mahadev Betting Case: मनचाहे भाव तक चढ़ाया शेयर, ईडी ने किया ₹573 करोड़ का एसेट्स फ्रीज
Mahadev Betting Case: ईडी की जांच से पता चला है कि इस अवैध फंड को भारत से बाहर भेजा गया और फिर मॉरीशस और दुबई जैसे स्थानों पर स्थित विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के जरिए वापस लाया गया।

Mahadev Betting Case: केंद्रीय एजेंसी ईडी ने महादेव ऑनलाइन बुक सट्टा ऐप मामले में तलाशी कार्रवाई करते हुए 3.29 करोड़ रुपये नकद जब्त किए। इसके अलावा 573 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की सिक्योरिटीज, बॉंड्स और डीमैट अकाउंट्स भी फ्रीज किए। ईडी की यह रेड 16 अप्रैल को दिल्ली, मुंबई, इंदौर, अहमदाबाद, चंडीगढ़, चेन्नई और संबलपुर में मनी लॉन्ड्रिंग (मनी लॉन्ड्रिंग) कानून, 2002 के तहत पड़ी थी। ईडी का कहना है कि महादेव ऑनलाइन बुक एक सिंडिकेट के रूप में कार्य करता था। इसमें यूजर आईडी बनाने और नए यूजर्स को जोड़ने वाले कई प्लेटफार्मों के नेटवर्क के जरिए अवैध तरीके से सट्टेबाजी होती थी। ईडी के मुताबिक इसमें अपराध के पैसों (प्रोसिड्स ऑफ क्राइम-PoC) की बड़ी रकम बनाई गई, जिसे फिर बेनामी बैंक खातों के गुच्छे के जरिए साफ कर दिया गया।

भारत के बाहर जाकर FPI के रास्ते पैसा आया वापस

ईडी की जांच से पता चला है कि इस अवैध फंड को भारत से बाहर भेजा गया और फिर मॉरीशस और दुबई जैसे स्थानों पर स्थित विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के जरिए वापस लाया गया। ये पैसे भारतीय शेयर बाजार में डाले गए और एसएमई-सेक्टर की कुछ लिस्टेड कंपनियों के शेयर भाव में हेर-फेर करने के लिए इस्तेमाल किया गया। इससे खुदरा निवेशक गुमराह हुए। इनमें से कुछ निवेश अब फ्रीज कर दिए गए हैं।

ईडी को संदेह है कि कुछ लिस्टेंड कंपनियों के प्रमोटरों ने प्रिफरेंशियल अलॉटमेंट, प्रमोटर के पास मौजूद शेयरों की बिक्री और शेयर वारंट जारी करने के जरिए इन पैसों को लगाने में बड़ी भूमिका निभाई। ये पैसे कहां से आए, इसे छिपाने के लिए कई लेयर बनाकर कंपनियों में निवेश का रास्ता अपनाया गया। जांच में इस बात के सबूत मिले हैं कि कंपनी के प्रमोटर्स और आरोपियों के बीच मिलीभगत थी ताकि ब्रोकर और बिचौलियों की एक चेन बनाई जा सके और इसके जरिए स्टॉक की कीमतों और कंपनी के मूल्यांकन को कृत्रिम रूप से बढ़ाया जा सके।

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