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क्या आप गिरावट पर खरीदारी कर रहे हैं? अगर हां तो एवरेजिंग डाउन स्ट्रेटेजी पर जरूरत से ज्यादा नहीं करें भरोसा

स्टॉक मार्केट में लगातार गिरावट ने निवेशकों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। लेकिन, कुछ निवेशक गिरावट के इस मौके का इस्तेमाल सस्ते भाव पर शेयरों में निवेश के लिए कर सकते हैं। लेकिन, कई बार यह स्ट्रेटेजी फायदे की जगह लॉस का सबब बन जाती है

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Feb 28, 2025 पर 2:21 PM
क्या आप गिरावट पर खरीदारी कर रहे हैं? अगर हां तो एवरेजिंग डाउन स्ट्रेटेजी पर जरूरत से ज्यादा नहीं करें भरोसा
आज सेंसेक्स 1.85 फीसदी यानी 1376 प्वाइंट्स तो निफ्टी 1.86 यानी 417 प्वाइंट्स क्रैश कर गया।

स्टॉक मार्केट के लिए 28 फरवरी की तारीख इतिहास में लिखी जाएगी। आज सेंसेक्स 1.85 फीसदी यानी 1376 प्वाइंट्स तो निफ्टी 1.86 यानी 417 प्वाइंट्स क्रैश कर गया। इस गिरावट ने मार्केट को घुटनों पर ला दिया है। ज्यादातर निवेशक इस गिरावट की वजह से अपने लॉस का अंदाजा लगाने में जुटे हैं। कुछ स्मार्ट इनवेस्टर्स इस गिरावट में खरीदारी कर रहे हैं। दरअसल, बीते 5 महीनों से जारी गिरावट का फायदा उठाने के लिए उन्होंने एवरेजिंग डाउन की स्ट्रेटेजी अपनाई है। लेकिन, यह ध्यान में रखने वाली बात है कि मार्केट में हर गिरावट निवेश का मौका नहीं है। कई बार आपको गिरावट पर अपने पोजीशन पर विचार करना जरूरी हो जाता है। किसी स्टॉक के फंडामेंटल्स पर गौर किए बगैर आंख मूंद कर एवरेजिंग डाउन स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करना बड़े नुकसान का कारण बन सकता है।

एवरेजिंज डाउन स्ट्रेटेजी क्या है?

एवरेजिंग डाउन (Averaging down Strategy) एक ऐसी स्ट्रेटेजी है, जिसमें किसी स्टॉक की कीमतें गिरने के बाद आप उसमें निवेश बढ़ाते हैं। आप इस सोच के साथ ऐसा करते हैं कि इससे शेयरों में निवेश की आपकी औसत कीमत काफी कम रहेगी। उदाहरण के लिए अगर आपने किसी स्टॉक को 100 रुपये में खरीदा है और उसका प्राइस गिरकर 80 रुपये हो जाता है तो आप उसके ज्यादा शेयर इस सोच के साथ खरीद लेते हैं कि इससे आपकी एवरेज कॉस्ट प्रति शेयर कम रहेगी।

यह स्ट्रेटेजी किस तरह फायदेमंद है?

यह स्ट्रेटेजी इस सोच पर आधारित है कि जब स्टॉक की कीमत बढ़ेगी तो आपको ज्यादा प्रॉफिट होगा, क्योंकि आपका एवरेज पर्चेज प्राइस कम है। पहली नजर में तो यह स्ट्रेटेजी सही लगती है। लेकिन, कई बार यह स्ट्रेटेजी काम करती है और कई बार काम नहीं करती है। कम प्राइस पर किसी स्टॉक को खरीदने से आपकी एवरेज पर्चेज कॉस्ट तो कम रहती है लेकिन उस स्टॉक के फंडामेंटल्स नहीं बदलते हैं। अगर कोई कंपनी मुश्किल का सामना कर रही है तो उसके स्टॉक को कम प्राइस पर खरीद लेने से उसकी प्रॉब्लम खत्म नहीं हो जाएगी।

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