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Market outlook : Sensex-Nifty लाल निशान में हुए बंद, जानिए 27 फरवरी को कैसी रह सकती है इनकी चाल

तेजी के बाद बाजार ने राहत की सांस ली है। इस सप्ताह निवेशकों का ध्यान नतीजों से हटकर इकोनॉमिक फैक्टर्स पर केंद्रित हो गया है। अलग-अलग सेक्टोरल इंडेक्सों पर नजर डालें तो आईट और मेटल में 1 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि बैंक और फार्मा में 0.5 फीसदी की कमजोरी देखने को मिली। एशियन पेंट्स, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, अपोलो हॉस्पिटल्स, डिविस लैब्स और टाइटन कंपनी आज निफ्टी के टॉप लूजर रहे

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 26, 2024 पर 10:52 PM
Market outlook : Sensex-Nifty लाल निशान में हुए बंद, जानिए 27 फरवरी को कैसी रह सकती है इनकी चाल
Market Outlook : एशियन पेंट्स, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, अपोलो हॉस्पिटल्स, डिविस लैब्स और टाइटन कंपनी आज निफ्टी के टॉप लूजर रहे

Market outlook : 26 फरवरी को उतार-चढ़ाव भरे सत्र में बेंचमार्क सूचकांक निचले स्तर पर बंद हुए हैं। निफ्टी आज 22150 से नीचे फिसल गया है। कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 352.67 अंक या 0.48 प्रतिशत गिरकर 72,790.13 पर और निफ्टी 90.70 अंक या 0.41 प्रतिशत गिरकर 22,122 पर बंद हुआ। आज लगभग 1538 शेयर बढ़े हैं। 1907 शेयरों में गिरावट देखने को मिली है। जबकि 107 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। एशियन पेंट्स, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, अपोलो हॉस्पिटल्स, डिविस लैब्स और टाइटन कंपनी आज निफ्टी के टॉप लूजर रहे। जबकि पावर ग्रिड कॉर्प, एलएंडटी, अदानी एंटरप्राइजेज, बीपीसीएल और टाटा कंज्यूमर निफ्टी के टॉप गेनर रहे।

अलग-अलग सेक्टोरल इंडेक्सों पर नजर डालें तो आईट और मेटल में 1 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि बैंक और फार्मा में 0.5 फीसदी की कमजोरी देखने को मिली। दूसरी ओर तेल और गैस, पावर और कैपिटल गुड्स 0.5-1 प्रतिशत की तेजी रही। बीएसई मिडकैप इंडेक्स में 0.4 फीसदी की गिरावट आई, जबकि स्मॉलकैप इंडेक्स सपाट नोट पर बंद हुआ।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के विनोद नायर का कहना है कि हालिया तेजी के बाद बाजार ने राहत की सांस ली है। इस सप्ताह निवेशकों का ध्यान नतीजों से हटकर इकोनॉमिक फैक्टर्स पर केंद्रित हो गया है। ब्याज दरों पर निर्णय लेने के लिए केंद्रीय बैंक के लिए अमेरिका और भारत के जीडीपी डेटा, यूरोजोन महंगाई और अमेरिकी बेरोजगारी दावा डेटा अहम आर्थिक आंकड़े होंगे। ये निकट अवधि में बाजार की दिशा को निर्धारित करेंगे। उधर मांग में गिरावट और हाई अमेरिकी इन्वेंट्री ने तेल की कीमतों को नीचे धकेल दिया है।

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