इजराइल-हमास युद्ध (Israel-Hamas War) के चलते दुनिया भर के निवेशक काफी सावधान हैं। हालांकि कोटक म्यूचुअल फंड के सीईओ नीलेश शाह का मानना है कि इसका घरेलू मार्केट पर खास असर नहीं पड़ पाएगा। इसकी वजह ये है कि यहां के म्यूचुअल फंड के पास अच्छा-खासा फंड है जिससे वे मार्केट को संभाल सकते हैं। इसका एक उदाहरण हाल ही में दिखा, जब पिछले कुछ महीने से विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली के बीच घरेलू फंड ने मार्केट को सहारा दिया। अब आगे की बात करें तो अगर मिडिल ईस्ट की लड़ाई गहराती है तो नीलेश शाह के मुताबिक घरेलू मार्केट को स्थानीय फंडों से सपोर्ट मिल सकता है। उनका दावा है कि स्थानीय म्चूचुअल फंडों के पास 2.50 लाख करोड़ रुपये का फंड है।
Israel-Hamas War: क्या है 2.50 लाख करोड़ रुपये का गणित
इक्विटी म्यूचुअल फंड में 25 लाख करोड़ रुपये का निवेश है और 5 फीसदी कैश में है यानी कि 1.25 लाख करोड़ रुपये की नगदी। किसी रिडेम्प्शन की स्थिति में फंड मैनेजर इस नगदी को होल्ड रखेंगे लेकिन इसका इस्तेमाल असाधारण मौके को भुनाने में किया जा सकता है। इसके अलावा डायनमिक एसेट एलोकेशन फंड और बैलेंस्ड फंड 2 लाख करोड़ रुपये मैनेज कर रहे हैं जिसका 25 से 75 फीसदी पैसा शेयरों में डाला जा सकता है। शेयरों में जो पैसा डाला जा सकता है, या निकाला जा सकता है, वह करीब 40 फीसदी है और यह करीब 80 करोड़ रुपये बैठ रहा है।
इसके अलावा नीलेश के मुताबिक तिमाही आधार पर SIP के जरिए म्यूचुअल फंड्स कम से कम 45 हजार करोड़ रुपये निकालते हैं। अब अगर इन सबको मिला दिया जाए तो यह राशि करीब 2.50 लाख करोड़ रुपये है। इन पैसों का इस्तेमाल ऐसी परिस्थितियों में जैसे कि विदेशी निवेशकों की एकाएक निकासी में शेयरों की तेज गिरावट से मिले मौके को भुनाने में किया जा सकता है। इस प्रकार कोटक म्यूचुअल फंड के सीईओ का मानना है शेयर मार्केट को सपोर्ट देने के लिए म्यूचुअल फंड के पास ही अकेले 2.50 लाख करोड़ रुपये का फंड है।
Israel-Hamas War के बीच कब खरीदारी कर सपोर्ट देंगे मार्केट को
म्यूचुअल फंडों के पास इतना पैसा है तो सवाल ये उठ रहा है कि वे मार्केट को सपोर्ट कब करेंगे। इसे लेकर नीलेश का कहना है कि घरेलू फंड मैनेजर्स फेयर वैल्यू के आधार पर ही फैसला लेते हैं और वे तभी शेयर खरीदेंगे जब इसका भाव फेयर वैल्यू के नीचे गिर जाएगा। उनका कहना है कि अगर उन्हें फंडामेंटल रूप से लगेगा कि शेयरहोल्डर्स अपने खास कारणों से शेयर बेच रहे हैं तो ही म्यूचुअल फंड मार्केट को सपोर्ट करेंगे। अगर कोई बाहरी कारणों से शेयर बेच रहा है तो इसे म्यूचुअल फंड और बाकी घरेलू निवेशक सह लेंगे।
उन्होंने कहा कि तेल महंगा होता है और कमाई पर झटका लगता है तो फेयर वैल्यू के नीचे शेयर आने पर ही खरीदारी की जाएगी। विदेशी निवेशक आमतौर पर MSCI की रीबैलेंसिंग या दूसरे बाजारों में निवेश के लिए भारतीय शेयरों की बिक्री करते हैं और नीलेश शाह के मुताबिक यह खरीदारी के लिए बेहतर मौका देता है।
खुदरा निवेशकों को दी ये सलाह
कोटक म्यूचुअल फंड के सीईओ नीलेश शाह ने खुदरा निवेशकों को सलाह दी है कि अपने एसेट एलोकेशन से जुड़े नियमों पर बने रहें। लॉर्जकैप पर थोड़ा ओवरवेट हो सकते हैं, स्मॉलकैप और मिडकैप पर थोड़ा अंडरवेट हो सकते हैं। उन्होंने ओवरऑल इक्वल वेट एलोकेशन की सलाह दी है।
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