Get App

बाजार में किसी डीप करेक्शन का डर नहीं, 2 साल में सरकारी बैंकों में 100% तक रिटर्न मुमकिन : विकास खेमानी

BIG MARKET VOICES: विकास ने कहा कि बाजार में कंसॉलिडेशन का दौर चल रहा है। छोटी अवधि में महंगाई और ब्याज दरों को लेकर चिंता देखने को मिलेगी। हालांकि बाजार में बड़ी गिरावट की आशंका नहीं है। बाजार में छोटी अवधि में करेक्शन संभव है। बाजार के हेल्दी रहने के लिए बीच-बीच में कंसोलीडेशन और करेक्शन आना ही चाहिए। मीडिम और लॉन्ग टर्म के नजरिए से भारतीय बाजार की स्टोरी बहुत अच्छी है

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 04, 2023 पर 5:53 PM
बाजार में किसी डीप करेक्शन का डर नहीं, 2 साल में सरकारी बैंकों में 100% तक रिटर्न मुमकिन : विकास खेमानी
विकास का मानना है कि व्हाइट गुड्स स्पेस में कंपिटीशन बढ़ा है। पावर सेक्टर के पास सप्लाई से ज्यादा डिमांड है। ऐसे में पावर सेक्टर अगले 4-5 साल तक अच्छा कर सकता है

BIG MARKET VOICES में आज सीएनबीसी आवाज के साथ जुड़े हैं कार्नेलियन कैपिटल एडवाइजर्स के फाउंडर विकास खेमानी। विकास खेमानी करीब ढ़ाई दशक से कैपिटल मार्केट से जुड़े हुए हैं। Carnelian की स्थापना से पहले विकास एडलवाइज के साथ भी 17 वर्षों तक काम कर चुके हैं। विकास खेमानी बड़े फंड मैनेजर्स में गिने जाते हैं। विकास मैराथन रेस का भी शौक रखते हैं। इन्होंने शुरुआत में F&O ट्रेडर्स के तौर पर भी काम किया है। आइये उनसे समझते है कि अभी वो कमाई की किन थीम्स पर फोकस कर रहे हैं।

बाजार में किसी क्राइसिस या डीप करेक्शन का डर नहीं

बाजार पर बात करते हुए विकास ने कहा कि बाजार में कंसॉलिडेशन का दौर चल रहा है। छोटी अवधि में महंगाई और ब्याज दरों को लेकर चिंता देखने को मिलेगी। हालांकि बाजार में बड़ी गिरावट की आशंका नहीं है। बाजार में छोटी अवधि में करेक्शन संभव। इस समय बाजार में अच्छे वैल्युएशन पर निवेश के मौके दिख रहे हैं। बाजार के हेल्दी रहने के लिए बीच-बीच में कंसोलीडेशन और करेक्शन आना ही चाहिए। मीडिम और लॉन्ग टर्म के नजरिए से भारतीय बाजार की स्टोरी बहुत अच्छी है।

बाजार में किसी क्राइसिस या डीप करेक्शन का डर नहीं। हमारे बाजार और इकोनॉमी काफी मजबूत है। ऐसे में अगर कोई परेशानी आती भी है तो वो ग्लोबल मार्केट से आएगी। अगर ग्लोबल मार्केट से कोई परेशानी आती है तो उसका असर भारत सहित पूरी दुनिया पर होगा। लेकिन भारतीय इकोनॉमी काफी मजबूत है ऐसे में इसका असर दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में भारत पर बहुत कम होगा।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें