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कूटनीतिक संबंधों में व्यावहारिक सोच की भूमिका इंडिया की ग्रोथ में रही है, जानिए समीर अरोड़ा ने ऐसा क्यों कहा

समीर अरोड़ा ने इनवेस्टर गाइड में कूटनीतिक संबंधों को लेकर इंडिया की व्यावहारिक सोच और इकोनॉमिक ग्रोथ में उसके फायदों का जिक्र किया है। इस बारे में उन्होंने इंडिया के बारे में हेनरी किसिंजर की राय का भी जिक्र किया है। किसिंजर ने एक इंटरव्यू में विदेश नीति के मामले में इंडिया की सोच की तारीफ की थी

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 25, 2023 पर 3:58 PM
कूटनीतिक संबंधों में व्यावहारिक सोच की भूमिका इंडिया की ग्रोथ में रही है, जानिए समीर अरोड़ा ने ऐसा क्यों कहा
इनवेस्टर गाइड में यह भी कहा गया है कि कई मसलों पर चीन से अलग राय रखने के बावजूद इंडिया उसके साथ व्यापारिक रिश्ते बनाए रखने में कामयाब रहा है। इस दौरान इंडिया का जोर व्यापारिक रिश्तों का इस्तेमाल अपने हित के लिए करने पर रहा है।

इंडिया की ग्रोथ में कूटनीतिक संबंधों को लेकर उसकी व्यावहारिक सोच की बड़ी भूमिका होगी। यह बात Helios Capital के समीर अरोड़ा ने कही है। दरअसल, यह राय पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर (Henry Kissinger) की थी। उन्होंने अमेरिका के बारे में कहा था कि उसे ज्यादा व्यावहारिक बनना सीखना पड़ेगा। मई 2023 में एक इंटरव्यू में किसिंजर ने कहा था कि व्यावहारिक सोच के मामले में इंडिया उनका मॉडल है। उन्होंने इंडिया के एक सीनियर अफसर के साथ अपनी मुलाकात के बारे में भी बताया था। उस अफसर ने किसिंजर से कहा था कि किसी देश की विदेश नीति गैर-स्थायी संबंधों पर आधारित होनी चाहिए। बहुपक्षीय ढांचे के बीत किसी एक देश से बंधे रहने की जगह हमें मसलों को अपनी विदेश नीति का आधार बनाना चाहिए। अरोड़ा ने अपने इनवेस्टर गाइड में कहा है कि मौजूदा सरकार की तरफ से कूटनीतिक मामलों में उठाए गए आक्रामक पॉलिसी के फायदे जियोपॉलिटिकल रिलेशंस में देखने को मिले हैं। गाइड में यह भी कहा गया है कि इंडिया का जोर इन देशों के साथ रणनीतिक संबंध बनाने पर रहा है।

जब टेक्नोलॉजी और आर्थिक मामलों में नेतृत्व को लेकर अमेरिकी और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा दिख रही है तब अमेरिका इंडिया को एक खतरा नहीं मानता है। इसकी जगह अमेरिका इंडिया को ऐसे देश के रूप में देखता है जो चीन के असर को कम कर सकता है। साथ ही इंडिया रूस के साथ भी अच्छा सबंध बनाए रखने में कामयाब रहा है। गाइड में यह भी कहा गया है कि कई मसलों पर चीन से अलग राय रखने के बावजूद इंडिया चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते बनाए रखने में कामयाब रहा है। इस दौरान इंडिया का जोर व्यापारिक रिश्तों का इस्तेमाल अपने हित के लिए करने पर रहा है।

हेलियस कैपिटल के मुताबिक, इंडिया पारंपरिक रूप से ऐसा मार्केट रहा है, जिसमें रिटर्न इकोनॉमी की ग्रोथ और कंपनियों की अर्निंग्स पर आधारित रहा है। इसमें बदलाव नहीं दिखा है। इंडिया ऐसे चरण में प्रवेश कर रहा है, जिसमें सेक्युलर ग्रोथ, क्वालिटी ऑफ ग्रोथ और कंपनियों की क्वालिटी का संबंध कई फैक्टर्स से है। इनमें आबादी में युवाओं की हिस्सेदारी, सप्लाई चेन ट्रांजिशन और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट शामिल होंगे। ये ग्रोथ को सपोर्ट करेंगे और आने वाले दिनों में मार्केट से बेहतर रिटर्न में भूमिका निभाएंगे।

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इंडिया लंबे समय से उतार-चढ़ाव वाला बाजार रहा है। इसने ऐसे इनवेस्टर्स को इनाम दिए हैं, जिन्होंने मुश्किल वक्त में भी इसमें भरोसा बनाए रखा है। बीते सालों में इंडिया के लिए मुश्किलें कम हुई हैं। इस रिपोर्ट में ऐसे कई दूसरे फैक्टर्स का भी जिक्र है, जो इंडिया को एक अट्रैक्टिव मार्केट बनाते हैं। इनमें हाई जीडीपी ग्रोथ रेट शामिल है, जिसके चलते फॉरेन इनवेस्टर्स के बीच इंडिया का आकर्षण बढ़ जाता है।

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