इंडियन इनवेस्टर्स की प्रॉब्लम कुछ-कुछ रमेश सिप्पी जैसी है। सिप्पी ने शोले बनाई। यह फिल्म 15 अगस्त, 1975 को रिलीज हुई थी। मैंने इसे 16 अगस्त को देखी थी। ब्लैक मार्केट से अपने पड़ोस की अनिल टॉकीज की शोले का टिकट खरीदा था। देखने के बाद मेरे दिमाग ऐसी 11 बातें चल रही थी और मुझे लग रहा था कि शायद ऐसा कभी दोबारा नहीं होगा। मेरी बात सही साबित हुई। सिप्पी दूसरी शोले नहीं बना सके। ऐसा नहीं है कि उन्होंने कोशिश नहीं की। यह भी नहीं है कि फिल्म बनाने की उनकी काबिलियत पर किसी तरह का असर पड़ा।