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शेयर ने पांच साल में दिया 5,200% रिटर्न, अब SEBI ने पकड़ा पर्दे के पीछे चल रहा 'खेल'

क्रेसेंडा रेलवे सॉल्यूशंस (Cressanda Railway Solutions) के शेयर ने पिछले कुछ सालों में बड़ी धूम मचाई थी। पिछले 5 सालों में इसने निवेशकों को 5,200% से भी अधिक का मल्टीबैगर रिटर्न दिया है। हालांकि अब यह एक बड़े विवाद में फंस गई है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने कंपनी और इसके कई डायरेक्टरों को वित्तीय अनियमितता के आरोप में शेयर बाजार से बैन कर दिया है

Moneycontrol Newsअपडेटेड Oct 12, 2024 पर 4:04 PM
शेयर ने पांच साल में दिया 5,200% रिटर्न, अब SEBI ने पकड़ा पर्दे के पीछे चल रहा 'खेल'

क्रेसेंडा रेलवे सॉल्यूशंस (Cressanda Railway Solutions) के शेयर ने पिछले कुछ सालों में बड़ी धूम मचाई थी। पिछले 5 सालों में इसने निवेशकों को 5,200% से भी अधिक का मल्टीबैगर रिटर्न दिया है। हालांकि अब यह एक बड़े विवाद में फंस गई है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने कंपनी और इसके कई डायरेक्टरों और टॉप मैनेजमेंट के कर्मचारियों को गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए शेयर बाजार से बैन कर दिया है। SEBI के मुताबिक, कंपनी ने फर्जी बिक्री और खरीद के जरिए अपने अकाउंट्स और बैलेंस-शीट में गलत आंकड़े दिखाए। यह निवेशकों को धोखे में रखने के लिए किया गया।

SEBI के आदेश के मुताबिक, क्रेसेंडा ने चावल और IT से जुड़े उत्पादों की नकली बिक्री और खरीद का सहारा लिया और फर्जी रेवेन्यू दिखाकर कर अपनी खातों में आंकड़ों को बढ़ाया। यह गड़बड़ियां वित्त वर्ष 2023 से जुड़ी हैं, और यह देखा गया कि ये लेन-देन वित्त वर्ष 2024 में भी जारी रहे। SEBI ने यह भी पाया कि कंपनी ने प्रिफरेंशियल अलॉटमेंट से जुटाए पैसों को गलत तरीके से डायवर्ट किया। इसके अलावा जिन 28 लोगों को शेयर अलॉट किए गए हैं, उनकी ओर से किए गए पेमेंट्स की भी जांच जारी है। रेगुलेटर्स ने कहा कि प्रथम दृष्टतया ऐसा लगता है कि कुछ नोटिसधारकों को आंशिक या बिना किसी भुगतान के ही शेयर आवंटित किए गए हैं।

SEBI की जांच में यह बात सामने आई कि क्रेसेंडा रेलवे सॉल्यूशंस की वित्त वर्ष 2015 से 2022 तक कोई खास ऑपरेशनल रेवेन्यू नहीं था, लेकिन वित्त वर्ष 2023 में अचानक से इसकी बिक्री में बड़ा इजाफा हुआ। कंपनी ने 75.13 करोड़ रुपये की बिक्री दिखाई, जो फर्जी ट्रांजैक्शन पर आधारित थी। यह ग्रोथ वास्तविक नहीं थी, और इसका उद्देश्य केवल निवेशकों को आकर्षित करना था। इसका नतीजा यह हुआ कि पिछले तीन साल में कंपनी के पब्लिक शेयरधारकों की संख्या 2,700 से बढ़कर 56,556 हो गई।

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