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रियल एस्टेट सेक्टर पर ब्लैकमनी की छाया गहराई, इसमें निवेश से बचें : सौरभ मुखर्जी

सौरभ मुखर्जी का कहना है कि रियल एस्टेट में काले धन का हिस्सा फिर से बढ़ रहा है, साथ ही उन्होंने कहा कि लोग अपने पास पड़ी नकदी के ढेर का इस्तेमाल करने के लिए इस क्षेत्र में पैसे डाल रहे हैं। मुखर्जी ने आगे कहा कि रियल एस्टेट की कीमतों में मौजूदा उछाल 2014-2015 में जो हुआ था उसकी याद दिला रहा है। उस समय रियल एस्टेट में बड़ी मात्रा में काला धन आया था। उसी तरह अब काले धन को सफेद करने के साधनों की मांग फिर से बढ़ रही है

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 06, 2023 पर 1:27 PM
रियल एस्टेट सेक्टर पर ब्लैकमनी की छाया गहराई, इसमें निवेश से बचें : सौरभ मुखर्जी
सौरभ मुखर्जी का कहना है कि इस समय रियल एस्टेट कंपनियों के बजाय निर्माण सामग्री से जुड़ी कंपनियां अच्छी लग रही हैं

रियल एस्टेट शेयरों में जोरदार तेजी देखने को मिल रही है। निफ्टी रियल एस्टेट इंडेक्स इस साल अब तक 60 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुका है। इस साल अब तक कई लिस्टेड रियल एस्टेट कंपनियों ने काफी अच्छा रिटर्न दिया है। प्रेस्टीज के स्टॉक 117.2 फीसदी ऊपर हैं। जबकि,ब्रिगेड एंटरप्राइजेज के स्टॉक इस अवधि में 74.8 फीसदी भागे हैं। यहां तक ​​कि अगर इस सेक्टर में हाल में आईपीओ पर नजर डालें तो पता चलता है कि रियल एस्टेट डेवलपर सिग्नेचर ग्लोबल के शेयरों में लिस्टिंग के बाद से लगभग 70 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। 5 दिसंबर, 2023 को ये शेयर 800 रुपये पर बंद हुआ था।

हालांकि, इस तेजी के बावजूद यह सेक्टर मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर के सौरभ मुखर्जी को पैसा लगाने के नजरिए से अच्छा नहीं लग रहा है। उनका कहना है कि रियल एस्टेट सेक्टर में शेयरधारकों के लिए पैसा कमान आसान नहीं है। मुखर्जी ने कहा कि इस सेक्टर में कोई एंट्री बैरियर नहीं हैं। ऐसे में कंपनियों को पूंजी पर मिलने वाला रिटर्न कंपनियों के विस्तार में चला जाता है, जिससे शेयरधारकों के लिए बहुत कम जगह बचती है।

सौरभ मुखर्जी ने मनीकंट्रोल के साथ हुई बातचीत में आगे कहा कि इसके अलावा, एनसीआर रीजन और बेंगलुरु जैसी जगहों पर रियल एस्टेट खर्च में बढ़ोतरी से इस सेक्टर में आने वाले पैसे के स्रोत के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि जीडीपी के प्रतिशत के रूप में देखें तो प्रचलन में दिख रही नकदी अब नोटबंदी के स्तर से काफी ऊपर है। फिलहाल नकदी का प्रवाह कम है इसके बावजूद प्रचलन में नकदी की मात्रा ज्यादा है। इससे पता चलता है कि लोग एक बार फिर नकदी का उपयोग भुगतान के बजाय इसको स्टोर करने के लिए कर रहे हैं। रियल एस्टेट सेक्टर अतीत में भी बड़ी मात्रा में नकद भुगतान लिए जाना जाता रहा है।

मुखर्जी ने आगे कहा कि रियल एस्टेट की कीमतों में मौजूदा उछाल 2014-2015 में जो हुआ था उसकी याद दिला रहा है। उस समय रियल एस्टेट में बड़ी मात्रा में काला धन आया था। उसी तरह अब काले धन को सफेद करने के साधनों की मांग फिर से बढ़ रही है, जिसके परिणामस्वरूप काला धन फिर से रियल एस्टेट में आ रहा है।

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