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Short Call: बजट के बाद दिग्गज निवेशक क्यों बरत रहे सावधानी, Suzlon, Bajaj Electricals और Supreme Industries पर क्यों हैं इनवेस्टर्स की निगाहें

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में कैपिटल गेंस टैक्स बढ़ाने के ऐलान के बाद स्टॉक मार्केट में बिकवाली शुरू हो गई। मार्केट के प्रमुख सूचकांक 1.5 फीसदी से ज्यादा गिर गए थे। हालांकि, मार्केट में रिकवरी और बाजार हल्की गिरावट के साथ बंद हुए

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 24, 2024 पर 10:36 AM
Short Call: बजट के बाद दिग्गज निवेशक क्यों बरत रहे सावधानी, Suzlon, Bajaj Electricals और Supreme Industries पर क्यों हैं इनवेस्टर्स की निगाहें
डोमेस्टिक और फॉरेन इनवेस्टर्स की तरफ से हो रहे निवेश की वजह से सिस्टम में लिक्विडिटी काफी ज्यादा है। इससे ऐसा लगता है कि चाहे जितनी भी खराब खबर आए मार्केट गिरने वाला नहीं है।

यह स्पष्ट है कि यह वह बजट नहीं है, जिसकी उम्मीद स्टॉक मार्केट ने लगाई थी। हालांकि, 23 जुलाई को जिस तरह से मार्केट की क्लोजिंग हुई, उससे ऐसा लगता है कि मार्केट ज्यादा कैपिटल गेंस के साथ चलने के लिए तैयार है। डोमेस्टिक और फॉरेन इनवेस्टर्स की तरफ से हो रहे निवेश की वजह से सिस्टम में लिक्विडिटी काफी ज्यादा है। इससे ऐसा लगता है कि चाहे जितनी भी खराब खबर आए मार्केट गिरने वाला नहीं है। एक म्यूचुअल फंड हाउस के फंड मैनेजर ने शॉर्ट कॉल को बताया कि इनवेस्टर्स इसलिए नहीं निवेश कर रहे हैं कि फंडामेंटल्स मजबूत हैं बल्कि वे इसलिए पैसे लगा रहे हैं कि उन्हें लगता है कि एसआईपी के जरिए होने वाले निवेश से मार्केट को सपोर्ट मिलता रहेगा। ऐसी सोच खतरनाक लगती है।

उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड्स में लगातार पैसा आ रहा है। न्यू फंड ऑफर (NFO) में भी निवेशक खूब दिलचस्पी दिखा रहे हैं। लेकिन, सिर्फ लिक्विडिटी मार्केट को संकट से नहीं बचा सकती। UTI की मास्टरगेन 92 स्कीम इसका उदाहरण है। इस स्कीम में 1992 में निवेशकों ने खूब दिलचस्पी दिखाई थी। एनएफओ पीरियड में इस स्कीम में 4,472 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। तब बाजार पूंजीकरण के लिहाज से यह अमाउंट काफी ज्यादा था। लेकिन, अगले साल हर्षद मेहता घोटाला सामने आने के बाद यह स्कीम मार्केट को डूबने से नहीं बचा पाई।

मार्केट ने भले ही बजट में आने वाली खराब खबरों से उबरने की कोशिश की है। लेकिन, अनुभवी निवेशक सावधानी बरत रहे हैं। हाई वैल्यूएशन को सपोर्ट करने वाली कोई वजह नहीं दिख रही। बजट में मार्केट को सपोर्ट देने वाला कोई ऐलान नहीं हुआ है। ऐसे में सिर्फ लिक्विडिटी मार्केट को हर मुश्किल से नहीं उबार सकती। मार्केट के दिग्गज इनवेस्टर्स ने अपने लंबे करियर में कई बार ऐसा होते देखा है।

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