Get App

टाटा स्टील के सामने 5 अरब डॉलर की मुसीबत, शेयर खरीदने पर नए साल 2025 में भी लगेगा झटका?

Tata Steel Shares: टाटा स्टील का नीदरलैंड के आईमोइडेन (IJmuiden) शहर में एक प्लांट हैं। हाल ही में नीदरलैंड्स की सरकार ने पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के चलते कंपनी पर 27 मिलियन यूरो यानी लगभग ₹240 करोड़ का जुर्माना लगा दिया। लेकिन, समस्या सिर्फ जुर्माने की नहीं है। नीदरलैंड्स सरकार ने चेतावनी दी है कि वह कंपनी के आईमोइडेन (IJmuiden) प्लांट को हमेशा के लिए बंद भी कर सकती है

Moneycontrol Newsअपडेटेड Dec 30, 2024 पर 6:44 PM
टाटा स्टील के सामने 5 अरब डॉलर की मुसीबत, शेयर खरीदने पर नए साल 2025 में भी लगेगा झटका?
Tata Steel के शेयर में इस साल अब तक करीब 1.68% की गिरावट आई है

Tata Steel Shares: अगर आपने टाटा स्टील के शेयर में इस साल पैसा लगाया होगा, तो आपके हाथ सिर्फ मायूसी लगी होगी। टाटा स्टील के शेयर ने इस साल अब तक करीब डेढ़ फीसदी का नेगेटिल रिटर्न दिया है। इससे भी दिक्कत वाली यह बात यह है कि नए साल 2025 में भी टाटा स्टील के सामने ये चुनौतियां बनीं रह सकती हैं। ये चुनौती भी छोटी मोटी नहीं, करीब 5 अरब डॉलर यानी करीब 42,000 करोड़ रुपये की है। अगर टाटा स्टील इस मुसीबत से बाहर नहीं निकली, तो यह कंपनी के भविष्य के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।

यह सारा मामला टाटा स्टील के इंटरनेशनल बिजनेस से जुड़ा हुआ है। टाटा स्टील का नीदरलैंड के आईमोइडेन (IJmuiden) शहर में एक प्लांट हैं। हाल ही में नीदरलैंड्स की सरकार ने पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के चलते कंपनी पर 27 मिलियन यूरो यानी लगभग ₹240 करोड़ का जुर्माना लगा दिया। नीदरलैंड सरकार का कहना है कि प्लांट से जो गैस और धातुएं निकल रहे थे, वे स्थानीय इलाके में पर्यावरण संकट पैदा कर रहे थे। लेकिन, समस्या सिर्फ जुर्माने की नहीं है। नीदरलैंड्स सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर कंपनी इस समस्या को दूर करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाती है, तो वह उसके आईमोइडेन (IJmuiden) प्लांट को हमेशा के लिए बंद भी कर सकती है।

अब अगर टाटा स्टील अपने इस प्लांट को ग्रीन स्टील प्लांट में बदलने जाती है, तो मार्केट एनालिस्ट्स के अनुमान के मुताबिक उसे लगभग 5 अरब डॉलर के भारी निवेश की जरूरत होगी। कंपनी को अपने मौजूदा ब्लास्ट फर्नेस को बंद करना पड़ेगा और इसकी जगह, डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (DRI) और इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस (EAF) जैसी नई तकनीकों को अपनाना होगा। लेकिन, यह बदलाव आसान नहीं होगा क्योंकि यूरोप में स्टील की मांग पहले से ही कमजोर है, जिसके चलते कंपनी के मुनाफे पर दबाव बना हुआ है। ऐसे में अगर कंपनी वहां और निवेश करती है तो यह प्रेशर कहीं ज्यादा हो सकता है।

यूरोप में अगर स्टील की मांग की बात करें तो यह काफी समय से स्थिर है। 2008 की ग्लोबल आर्थिक मंदी के बाद से ही वहां मांग कमजोर बनी हुई है। इस बीच एनर्जी की कीमतों में उछाल, रूस-यूक्रेन जंग, और चीन से सस्ते दाम पर स्टील के आयात ने यूरोपीय स्टील इंडस्ट्री के लिए मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। भविष्य में भी यह स्थिति सुधरने के आसार नहीं दिख रहे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगले कुछ सालों तक मांग स्थिर रहेगी, जिससे कंपनी की अर्निंग्स पर दबाव और बढ़ सकता है।”

सब समाचार

+ और भी पढ़ें