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चीन अब तिब्बती बच्चों को जबरन भेज रहा है बोर्डिंग स्कूल, संस्कृति और भाषा को कर रहा है खत्म

China: चीन का तिब्बत पर लंबे समय से कब्जा है। वहां की संस्कृति और शिक्षा को नष्ट करने के लिए चीन ने नई पैंतरेबाजी शुरू कर दी है। इसके लिए तिब्बत के 6 साल की उम्र के बच्चों को उनके माता-पिता से जबरन छीन रहा है। इसके साथ ही उन बच्चों को सरकारी बोर्डिंग स्कूल में डाल रहा है

Edited By: Jitendra Singhअपडेटेड Jul 17, 2023 पर 10:13 AM
चीन अब तिब्बती बच्चों को जबरन भेज रहा है बोर्डिंग स्कूल, संस्कृति और भाषा को कर रहा है खत्म
China: बताया जा रहा है कि तिबब्ती बच्चों को चीन जो भी सिखा रहा है। इससे वो काफी हिंसक हो गए हैं

China: चीन सरकार ने तिब्बत में बोर्डिंग स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए कोशिश तेज कर दी है। इसी बीच एक तिब्बती विद्वान ने चीन सरकार की ओर से तिब्बत में खोले गए बोर्डिंग स्कूलों की कड़ी निंदा की। है। चीन का तिब्बत कर करीब 74 साल से कब्जा है। चीन ने अब तिब्बती नागरिकों से उनके 4 से 6 साल के बच्चों को छीन कर बोर्डिंग स्कूलों में जबरन एडमिशन करना शुरू कर दिया है। चीन के ये ऐसे बोर्डिंग स्कूल हैं। जहां तिब्बत की संस्कृति, जीवन शैली और भाषा का दूर-दूर का रिश्ता नहीं है। इन बच्चों को कई सालों से जबरन माता-पिता से दूर रखकर चीनी भाषा सिखाई जा रही है।

इस मामले में प्रसिद्ध तिब्बती विद्वान डॉ. ग्याल लो का कहना है कि चीन ने साल 2016 से तिबब्त के 4 से 6 साल की उम्र के बच्चों को चीनी भाषा और संस्कृति का ज्ञान देना शुरू कर दिया है। उन्हें बोर्डिंग प्रीस्कूलों में रखा जा रहा है। बच्चों को वहां जो कुछ भी पढ़ाया जा रहा है। वो हिंसक हो गए हैं।

तिब्बती संस्कृति पर हो रहा है हमला

एक रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. ग्याल लो ने कहा कि साल 2016 से चीन ने चार से छह साल की उम्र के तिब्बती बच्चों को चीनी भाषा और संस्कृति का ज्ञान देकर बोर्डिंग प्रीस्कूलों में रखना शुरू किया। इसके अलावा बच्चों को जो कुछ भी पढ़ाया गया वो काफी हिंसक है। उन्होंने आगे कहा कि तिब्बत में चीनी बोर्डिंग प्रीस्कूल बनाकर तिब्बती संस्कृति और पहचान को पूरी तरह खत्म किया जा रहा है। इस दिशा में एक मनोवैज्ञानिक क्रांति चलाई जा रही है। डॉ. ग्याल लो ने चीन की सीसीपी की नीति को रोकने पर जोर दिया। उन्होंने चीन की इस चाल की कड़ी निंदा की है।

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