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चीन अपनी धरती से तेल निकालने की कोशिश में तो नहीं? शिंजियांग में 10,000 मीटर गहरा छेद करने में जुटा ड्रैगन, क्या हो सकता है कारण

चीन (China) में ये अब तक के सबसे गहरे बोरहोल (borehole) के लिए ड्रिलिंग की जा रही है, जो देश के तेल-समृद्ध शिंजियांग (Xinjiang) प्रांत में मंगलवार को शुरू हुई। ये ड्रिलिंग एक बहुत ही बारीक शाफ्ट से की जाएगी, जो जमीन में 10 से ज्यादा महाद्वीप के स्तर या चट्टान की परतों में घुस जाएगा। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ग्रह की सतह के ऊपर और नीचे नई सीमाओं की खोज कर रही है

MoneyControl Newsअपडेटेड May 31, 2023 पर 8:29 PM
चीन अपनी धरती से तेल निकालने की कोशिश में तो नहीं? शिंजियांग में 10,000 मीटर गहरा छेद करने में जुटा ड्रैगन, क्या हो सकता है कारण
शिंजियांग में 10,000 मीटर गहरा छेद करने में जुटा चीन (PHOTO-Xinhua)

चीन (China) आए दिन नई-नई खोज और तकनीक को बढ़ावा देने में जुटा है। इसी कड़ी में चीन के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के क्रस्ट (Earth Crust) में 10,000 मीटर यानि करबी 32,808 फीट ड्रिल यानि छेद करना शुरू कर दिया है, क्योंकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ग्रह की सतह के ऊपर और नीचे नई सीमाओं की खोज कर रही है। सरकारी न्यूज एजेंसी Xinhua के अनुसार, चीन में ये अब तक के सबसे गहरे बोरहोल (borehole) के लिए ड्रिलिंग की जा रही है, जो देश के तेल-समृद्ध शिंजियांग (Xinjiang) प्रांत में मंगलवार को शुरू हुई।

इससे पहले सुबह, चीन ने अपना पहला नागरिक अंतरिक्ष यात्री (civilian astronaut) गोबी रेगिस्तान से अंतरिक्ष में भेजा। रिपोर्ट के मुताबिक, ये ड्रिलिंग एक बहुत ही बारीक शाफ्ट से की जाएगी, जो जमीन में 10 से ज्यादा महाद्वीप के स्तर या चट्टान की परतों में घुस जाएगा। और ये पृथ्वी के क्रस्ट में क्रेटेशियस सिस्टम तक पहुंच जाएगा, जिसमें लगभग 14.5 करोड़ साल पुराने रॉक डेटिंग का फीचर है।

चाइनीज एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग के वैज्ञानिक सन जिनशेंग ने Xinhua को बताया, "इस ड्रिलिंग प्रोजेक्ट की तुलना दो पतले स्टील के तारों पर चलने वाले बड़े ट्रक से की जा सकती है। इस काम में भी कुछ ऐसी ही मुश्किलें हैं।"

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राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2021 में देश के कुछ प्रमुख वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए एक भाषण में पृथ्वी की गहराई में खोज पर बहुत ज्यादा जोर दिया था। इस तरह के काम खनिज और ऊर्जा संसाधनों की पहचान कर सकते हैं और भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी प्राकृतिक आपदाओं के जोखिमों का आकलन करने में मदद कर सकते हैं।

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