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Salary And Savings Accounts: सैलरी और सेविंग अकाउंट में क्या है फर्क? जानिए मिनिमम बैलेंस और जुर्माने के नियम

Salary And Savings Accounts: सैलरी अकाउंट वो अकाउंट होता है। जिसे कंपनी की ओर से खोला जाता है। सैलरी अकाउंट में जीरो बैलेंस की सुविधा मिलती है। सैलरी अकाउंट में फ्री ATM ट्रांजैक्शन से लेकर लोन ऑफर तक की सविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। सैलरी अकाउंट के नियम बाकी सेविंग्स अकाउंट के मुकाबले अलग होते हैं

Edited By: Jitendra Singhअपडेटेड Apr 19, 2023 पर 4:54 PM
Salary And Savings Accounts: सैलरी और सेविंग अकाउंट में क्या है फर्क? जानिए मिनिमम बैलेंस और जुर्माने के नियम
सैलरी अकाउंट में खास फायदे तभी तक मिलते हैं, जब तक खाते में नियमित रूप से सैलरी आती है

Salary And Savings Accounts: जब कोई व्यक्ति नई कंपनी में पहली बार नौकरी ज्वॉइन करता है। तब उसका सैलरी अकाउंट (Salary Account) खोला जाता है। इस बैंक अकाउंट में हर महीने कंपनी ओर से सैलरी भेजी जाती है। बैंक ये खाते कंपनियों और कॉर्पोरेशन के कहने पर खोलते हैं। कंपनी के हर कर्मचारी के नाम से सैलरी अकाउंट होता है। जिसे वो खुद ऑपरेट करते हैं। इस अकाउंट के बहुत सारे फायदे होते हैं। जैसे फ्री एटीएम ट्रांजैक्‍शन्स, अनलिमिटेड ऑनलाइन ट्रांजैक्‍शन और न्यूनतम बैलेंस की छूट मिलती है। सैलरी अकाउंट पर लागू होने वाले नियम बाकी सेविंग्स अकाउंट के मुकाबले काफी अलग होते हैं।

सैलरी अकाउंट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें जीरो बैलेंस की सुविधा मिलती है। अगर आप इस अकाउंट में मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं भी करते हैं तो बैंक किसी तरह का पेनल्‍टी आपसे नहीं लेगा। रेगुलर सेविंग्‍स अकाउंट में मिनमिम बैलेंस मेंटेन करना बहुत जरूरी है। नहीं तो जुर्माना भरना पड़ सकता है।

दोनों अकाउंट में समान ब्याज दर

सैलरी और सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाली ब्याज दर समान रहती है। आपके सैलरी अकाउंट में बैंक करीब 4 फीसदी की दर से ब्याज देता है। कॉरपोरेट सैलरी अकाउंट वह कोई व्यक्ति खोल सकता है जो कंपनी से सैलरी लेता है। सैलरी अकाउंट कंपनी की ओर से खुलवाया जाता है। जबकि सेविंग्स अकाउंट कोई भी व्यक्ति खोल सकता है। अगर आपने अपनी नौकरी बदली है। आपने अपने सैलरी अकाउंट को बंद नहीं किया और न ही बदला है तो उसमें मिनिमम बैलेंस बनाएं रखना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर बैंक उसे सेविंग्स अकाउंट में बदल देता है। मिनिमम बैलेंस मेंटेनेंस नहीं करने पर बैंक की ओर से जुर्माना लगाया जा सकता है।

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