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Business Idea: रबड़ की खेती से बदल जाएगी किस्मत, 40 साल तक होगी बंपर कमाई

Business Idea: रबड़ की खेती करने के लिए केंद्र सरकार और विश्व बैंक से आर्थिक सहायता मिलती है। एक बार रबड़ का पेड़ लगाने पर 40 साल तक मुनाफा कमा सकते हैं

Jitendra Singhअपडेटेड Nov 29, 2022 पर 8:23 AM
Business Idea: रबड़ की खेती से बदल जाएगी किस्मत, 40 साल तक होगी बंपर कमाई
भारत में केरल को सबसे बड़ा रबड़ उत्पादक राज्य कहते हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर त्रिपुरा का का नाम आता है।

Business Idea: अगर आप खेती के जरिए कई दशकों तक मोटी कमाई करना चाहते हैं तो आज हम आपको एक बेहतर बिजनेस आइडिया दे रहे हैं। बहुत से किसान पारंपरिक खेती के अलावा नकदी फसल की ओर भी ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में आप रबड़ की खेती (Rubber Cultivation) के जरिए बंपर कमाई कर सकते हैं। देश के कई इलाकों में आज किसान रबड़ की खेती से मोटी कमाई कर रहे हैं। रबड़ उत्पादन (Rubber Cultivation) के मामले में भारत विश्व में चौथा स्थान पर है। केरल सबसे ज्यादा रबड़ उत्पादन करने वाला राज्य है। इसके बाद दूसरे नंबर पर त्रिपुरा का नाम आता है। यहां से दूसरे देशों को रबड़ निर्यात किया जाता है।

इन दिनों भारत के कई राज्यों में भी रबड़ की खेती (Rubber Cultivation) की जाती है। रबड़ बोर्ड के मुताबिक, त्रिपुरा में 89, 264 हेक्टेयर, असम में 58,000 हेक्टेयर क्षेत्र, मेघालय में 17,000 हेक्टेयर, नागालैंड में 15,000 हेक्टेयर, मणिपुर में 4,200 हेक्टेयर, मिजोरम में 4,070 हेक्टेयर और अरुणाचल प्रदेश में 5,820 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक रबड़ की खेती हो रही है।

रबड़ का निर्यात

यहां से जर्मनी, ब्राजील, अमेरिका, इटली, तुर्की, बेल्जियम, चीन, मिस्र, नीदरलैंड, मलेशिया, पाकिस्तान, स्वीडन, नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात को नेचुरल रबड़ निर्यात किया जाता है। एक रिसर्च के मुताबिक, भारत से साल 2020 में 12000 मीट्रिक टन से ज्यादा नेचुरल रबड़ का निर्यात हुआ। अब देश के प्रमुख रबड़ उत्पादकों की लिस्ट में उड़ीसा का नाम भी जुड़ने जा रहा है। रबड़ का उपयोग शोल, टायर, इंजन की सील, गेंद, इलास्टिक बैंड व इलेक्ट्रिक उपकरणों जैसी चीज़ों को बनाने में किया जाता है। रबड़ की खेती से 40 साल तक मुनाफा कमा सकते हैं। रबड़ का पौधा 5 वर्ष में पेड़ बन जाता है। इसके बाद इसमें उत्पादन शुरू हो जाता है। रबड़ के पेड़ों को रोजाना कम से कम 6 घंटे धूप जरूरी है।

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