हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त हर किसी की यही उम्मीद होती है कि बीमार पड़ने पर इलाज आसानी से मिल जाएगा और अस्पताल से छुट्टी भी समय पर हो जाएगी। लेकिन हकीकत यह है कि इलाज तो जल्दी मिल जाता है, पर डिस्चार्ज की प्रक्रिया में घंटों की देरी पॉलिसी होल्डर्स के लिए एक नई मुसीबत बन चुकी है। कई बार बीमा कंपनियां मरीज के क्लेम को मंजूर करने में देर करती हैं, जिससे मरीज को 6 से 48 घंटे तक अस्पताल में अतिरिक्त रुकना पड़ता है। इलाज का खर्चा बढ़ता है और मानसिक तनाव भी।
