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FD vs Bonds: रेपो रेट घटने के बाद बैंक एफडी पर घटा रहे इंटरेस्ट, क्या पैसा एफडी से निकालकर बॉन्ड्स में लगाना चाहिए?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब इंटरेस्ट रेट में कमी आ रही हो तो इनवेस्टर्स को सरकार के बॉन्ड्स, स्टेट डेवलपमेंट लोन (एसएलडी) और कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में से किसी में निवेश करना चाहिए। सरकारी बॉन्ड्स उन निवेशकों के लिए सही है, जो ज्यादा सेफ्टी चाहते हैं। उन्हें यील्ड घटने से सीधे फायदा होता है

Your Money Deskअपडेटेड Dec 10, 2025 पर 8:10 PM
FD vs Bonds: रेपो रेट घटने के बाद बैंक एफडी पर घटा रहे इंटरेस्ट, क्या पैसा एफडी से निकालकर बॉन्ड्स में लगाना चाहिए?
एएए यानी ट्रिपल ए रेटिंग वाले कॉर्पोरेट बॉन्ड्स की यील्ड 7 से 8.5 फीसदी के बीच रहती है।

रिजर्व बैंक ने पिछले हफ्ते इंटरेस्ट रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कमी कर दी। रेपो रेट में कमी बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसे रखने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर नहीं है। रेपो रेट में कमी के बाद बैंक भी एफडी पर इंटरेस्ट घटा देते हैं। ऐसे में एफडी से पैसे निकालकर बॉन्ड में लगाने का विकल्प है। सवाल है कि क्या ऐसा करना सही है?

बॉन्ड्स में भी निवेश करने में रिस्क

बॉन्ड्स में निवेश के साथ भी रिस्क जुड़ा होता है। इसमें पहला क्रेडिट रिस्क है। सरकारी बॉन्ड्स पर सरकार की गारंटी होती है। कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में आपके निवेश से जुड़ा रिस्क उस कंपनी की वित्तीय सेहत पर निर्भर होता है। उसके बाद इंटरेस्ट रेट रिस्क आता है। इंटरेस्ट रेट बढ़ने पर बॉन्ड्स की कीमतें गिर सकती है। खासकर लंबी अवधि के बॉन्ड्स के साथ ऐसा होता है।

बॉन्ड्स में लिक्विडिटी एफडी से कम

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