भारत में ज्यादातर किराए के समझौते 11 महीने के लिए होते हैं क्योंकि इसके तहत रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं होती, जिससे किराएदार और मकान मालिक दोनों के लिए खर्च और कागजी कार्रवाई कम होती है। छोटे अनुबंध मकान मालिकों को जल्दी किराया बढ़ाने या प्रॉपर्टी वापस लेने में मदद करते हैं, जबकि किराएदारों को नौकरी या जीवनस्थिति बदलने पर आसानी से स्थानांतरित होने की सुविधा मिलती है। हालांकि, ये समझौते कोर्ट में विवाद होने पर लागू कराना मुश्किल हो सकता है।
