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मैं रेगुलर इनकम के लिए 50 लाख निवेश करना चाहता हूं, टैक्स के लिहाज से कहा निवेश करने में ज्यादा फायदा होगा?

बीते दो सालों में कैपिटल गेंस पर टैक्स के नियमों में बड़ा बदलाव आया है। इंडेक्सेशन का बेनेफिट खत्म हो गया है। नॉन-इक्विटी म्यूचुअल फंड्स स्कीम के टैक्स के नियमों में भी बड़ा बदलाव आया है। 23 जुलाई, 2024 के बाद डेट फंड में निवेश से होने वाले कैपिटल गेंस को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 20, 2025 पर 5:58 PM
मैं रेगुलर इनकम के लिए 50 लाख निवेश करना चाहता हूं, टैक्स के लिहाज से कहा निवेश करने में ज्यादा फायदा होगा?
ऐसी स्कीम जो लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में 65 फीसदी या इससे ज्यादा निवेश करती है वह इक्विटी स्कीम की कैटेगरी में आती है।

रिटारमेंट के बाद कई लोग बड़े फंड के निवेश से रेगुलर इनकम पाना चाहते हैं। 54 साल के महेश जैन एक एनआरआई हैं। वह इंडिया में सेटल होना चाहते हैं। वह 50 लाख रुपये का निवेश रेगुलर इनकम के लिए बराबर-बराबर मल्टी-एसेट फंड और बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में करना चाहते हैं। उनका सवाल है कि क्या मंथली विड्रॉल के लिए आईडीसीडब्लू के साथ मंथली डिविडेंड पेआउट या रीइनवेस्टमेंट ऑप्शन का इस्तेमाल कर सकते हैं? मनीकंट्रोल ने यह सवाल टैक्स एक्सपर्ट और सीए बलवंत जैन से पूछा।

कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बड़े बदलाव

जैन ने कहा कि बीते दो सालों में कैपिटल गेंस पर टैक्स के नियमों में बड़ा बदलाव आया है। इंडेक्सेशन का बेनेफिट खत्म हो गया है। नॉन-इक्विटी म्यूचुअल फंड्स स्कीम के टैक्स के नियमों में भी बड़ा बदलाव आया है। 23 जुलाई, 2024 के बाद डेट फंड में निवेश से होने वाले कैपिटल गेंस को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाता है। फिर उस पर इनवेस्टर के टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। अब डेट फंड के मामले में होल्डिंग पीरियड का कोई मतलब नहीं रह गया है।

डेट फंड से मिला रिटर्न शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस

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