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जब उत्तराधिकार कानून पहले से है तो फिर वसीयत बनाने की क्या जरूरत है? जानिए एक्सपर्ट का जवाब

सक्सेशन लॉज में बताया गया है कि किसी व्यक्ति का देहांत होने के बाद उसकी संपत्ति का बंटवारा किस तरह होगा। इंडिया में धर्म के हिसाब से कई पर्सनल लॉज हैं। अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसकी सपंत्ति के बंटवारे का तरीका इस बात पर निर्भर करेगा कि उस व्यक्ति का धर्म क्या था

MoneyControl Newsअपडेटेड Jun 02, 2025 पर 12:53 PM
जब उत्तराधिकार कानून पहले से है तो फिर वसीयत बनाने की क्या जरूरत है? जानिए एक्सपर्ट का जवाब
हिंदू लॉ में पिता की संपत्ति में बेटों और बेटियों का बराबर हक होता है।

अक्सर लोग यह सवाल पूछते हैं कि जब इंडिया में सक्सेशन लॉज (उत्तराधिकार कानून) है तो फिर वसीयत बनाना क्यों जरूरी है। यह सही है कि इंडिया में उत्तराधिकार कानून है। इसमें बताया गया है कि किसी व्यक्ति का देहांत होने के बाद उसकी संपत्ति का बंटवारा किस तरह होगा। इंडिया में धर्म के हिसाब से कई पर्सनल लॉज हैं। अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसकी सपंत्ति के बंटवारे का तरीका इस बात पर निर्भर करेगा कि उस व्यक्ति का धर्म क्या था। हिंदू लॉ में पिता की संपत्ति में बेटों और बेटियों का बराबर हक होता है।

सक्सेशन लॉज में क्या है?

मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ की नेहा पाठक ने कहा, "इंडिया में सक्सेशन लॉज (Succession Laws) में साफ तौर पर यह बताया गया है कि अगर व्यक्ति ने मौत से पहले वसीयत (Will) नहीं बताई है तो उसकी किन-किन लोगों में बांटी जाएगी। इसके बावजूद वसीयत बनाना बहुत जरूरी है।" उन्होंने कहा कि इससे संपत्ति का बंटवारा व्यक्ति की इच्छा के हिसाब से होता है। दरअसल, कई मामलों में सक्सेशन लॉज के हिसाब से संपत्ति का बंटवारा ठीक नहीं होता है।

संपत्ति दान देने के लिए जरूरी है Will

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