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डिजिटल पेमेंट पर दो ऐप्स का दबदबा, यूपीआई सिस्टम में रिस्क का बढ़ता खतरा

भारत में यूपीआई के 80% ट्रांजेक्शन केवल दो ऐप्स के माध्यम से हो रहे हैं, जिससे डिजिटल पेमेंट सिस्टम में अत्यधिक निर्भरता का खतरा पैदा हो गया है। इंडस्ट्री निकाय ने सरकार और RBI को इस समस्या पर तुरंत कदम उठाने की सलाह दी है ताकि बाजार में प्रतिस्पर्धा और नवाचार बरकरार रह सके।

Edited By: Shradha Tulsyanअपडेटेड Oct 30, 2025 पर 8:56 PM
डिजिटल पेमेंट पर दो ऐप्स का दबदबा, यूपीआई सिस्टम में रिस्क का बढ़ता खतरा

भारत में डिजिटल पेमेंट का सबसे बड़ा माध्यम बन चुका यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) देश की कैशलेस अर्थव्यवस्था के सपने को साकार कर रहा है। लेकिन हाल ही में इंडस्ट्री निकाय इंडिया फिनटेक फाउंडेशन (IFF) ने सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को चेतावनी दी है कि UPI लेनदेन का 80% कारोबार केवल दो प्रमुख मोबाइल पेमेंट ऐप्स के जरिए हो रहा है, जिससे सिस्टम में कॉन्सनट्रेशन रिस्क यानी अत्यधिक निर्भरता की समस्या पैदा हो रही है।

दो ऐप्स पर निर्भरता की गंभीर समस्या

IFF के अनुसार, यदि इन दोनों ऐप्स में से किसी एक की सेवाएं बाधित हो जाएं, तो पूरे यूपीआई सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह तकनीकी खराबी, साइबर हमला या नीतिगत विवाद के कारण हो सकता है। देश के डिजिटल भुगतान ढांचे की स्थिरता बनाए रखने के लिए इसका प्रभाव बहुत बड़ा होगा। इसलिए सरकार व RBI को इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए छोटे और नए थर्ड पार्टी ऐप प्रदाताओं (TPAPs) को तरजीह देनी होगी।

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