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निवेशक की मृत्यु के बाद लॉक-इन निवेश का क्या होता है? परिवार को नियम जानना है जरूरी

अगर निवेशक की मृत्यु हो जाए तो उनके लॉक-इन निवेश नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी को मिलते हैं। सही नॉमिनेशन और दस्तावेज़ होने पर परिवार को राशि आसानी से ट्रांसफर हो जाती है।

Shradha Tulsyanअपडेटेड Dec 13, 2025 पर 7:32 PM
निवेशक की मृत्यु के बाद लॉक-इन निवेश का क्या होता है? परिवार को नियम जानना है जरूरी

निवेश करना हर किसी के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित बनाने का तरीका है। लेकिन अकसर लोग यह सोचते ही नहीं कि उनकी मृत्यु के बाद उनके लॉक-इन निवेश का क्या होगा। बैंक खाते और फिक्स्ड डिपॉजिट जैसी चीजों तक परिवार आसानी से पहुंच सकता है, लेकिन PPF, EPF, NPS और ELSS जैसे लॉक-इन निवेश अलग नियमों के तहत आते हैं।

लॉक-इन निवेश क्या होते हैं?

भारतीय संदर्भ में "लॉक-इन" का मतलब है कि निवेशक अपने जीवनकाल में उस पैसे को आसानी से निकाल नहीं सकता। उदाहरण के लिए:

- PPF (Public Provident Fund) में 15 साल का लॉक-इन होता है।

- EPF (Employees Provident Fund) नौकरी से जुड़ा होता है और नियमों के अनुसार ही निकाला जा सकता है।

- NPS (National Pension System) और ELSS (Equity Linked Savings Scheme) में भी तय समय तक पैसा बंद रहता है।

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