किराये का एग्रीमेंट मकान मालिक और किरायेदार के बीच किया जाने वाला एक लिखित डॉक्यूमेंट है, जो तय अवधि और शर्तों के आधार पर किराये पर रहने की व्यवस्था को स्पष्ट करता है। आमतौर पर ये एग्रीमेंट 11 महीने के लिए ही बनाया जाता है। इसका कारण ये है कि इंडियन रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 की धारा 17(डी) के अनुसार, एक साल से कम अवधि वाले रेंट एग्रीमेंट का पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। इस नियम के चलते मकान मालिक अतिरिक्त स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क से बच जाते हैं। इसके अलावा, छोटा एग्रीमेंट उन्हें कानूनी विवादों से भी सुरक्षित रखता है,