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Rent Agreement Rule: किराये का एग्रीमेंट 11 महीने का ही क्यों बनता है, 12 का क्यों नहीं?

Rent Agreement Rule: छोटे कस्बों से बड़े शहरों में काम-काज के लिए आने वाले लोग अक्सर किराये के मकानों में रहते हैं। इसके लिए वे आमतौर पर प्रॉपर्टी मालिक के साथ 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट करते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि यह एग्रीमेंट सिर्फ 11 महीने का ही क्यों होता है और क्या साधारण स्टाम्प पेपर पर इसकी कानूनी वैधता है?

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 26, 2025 पर 1:37 PM
Rent Agreement Rule: किराये का एग्रीमेंट 11 महीने का ही क्यों बनता है, 12 का क्यों नहीं?
Rent Agreement Rule: समय-समय पर रिन्यू कराने से प्रॉपर्टी मालिक अपनी संपत्ति पर नियंत्रण बनाए रख सकते हैं।

किराये का एग्रीमेंट मकान मालिक और किरायेदार के बीच किया जाने वाला एक लिखित डॉक्यूमेंट है, जो तय अवधि और शर्तों के आधार पर किराये पर रहने की व्यवस्था को स्पष्ट करता है। आमतौर पर ये एग्रीमेंट 11 महीने के लिए ही बनाया जाता है। इसका कारण ये है कि इंडियन रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 की धारा 17(डी) के अनुसार, एक साल से कम अवधि वाले रेंट एग्रीमेंट का पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। इस नियम के चलते मकान मालिक अतिरिक्त स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क से बच जाते हैं। इसके अलावा, छोटा एग्रीमेंट उन्हें कानूनी विवादों से भी सुरक्षित रखता है,

क्योंकि लंबी अवधि का किरायानामा कई बार किरायेदार को अनावश्यक अधिकार दे सकता है। 11 महीने के बाद इस एग्रीमेंट को फिर से नवीनीकृत कर लिया जाता है, जिससे मालिक अपनी संपत्ति पर नियंत्रण बनाए रखते हैं और किरायेदार के साथ संबंध भी स्पष्ट रहते हैं।

सिर्फ 11 महीने का ही क्यों होता है एग्रीमेंट?

कानूनन, 12 महीने या उससे अधिक अवधि के लिए रेंट एग्रीमेंट पर स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क चुकाना अनिवार्य है। कई लोग इस अतिरिक्त खर्च से बचने के लिए 11 महीने का एग्रीमेंट चुनते हैं। इसके अलावा, ज्यादातर कानून किरायेदार के पक्ष में होने से मकान मालिक लंबे समय तक किरायेदार को हटाने में कठिनाई झेल सकते हैं।

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