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Amla Navami 2025: अक्षय पुण्य के लिए 31 अक्टूबर को इस विधि से करें पूजा, जानें आंवला नवमी का महत्व

Amla Navami 2025: अक्षय नवमी यानी आंवला नवमी के दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य या दान-पुण्य कभी खत्म नहीं होता और इसका फल ‘अक्षय’ यानी अनंत काल तक बना रहता है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है। आइए जानें इस दिन की पूजा विधि और महत्व

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 29, 2025 पर 11:39 AM
Amla Navami 2025: अक्षय पुण्य के लिए 31 अक्टूबर को इस विधि से करें पूजा, जानें आंवला नवमी का महत्व
अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।

Amla Navami 2025: आंवला नवमी या अक्षय नवमी हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य और स्नान-पूजा का अक्षय फल मिलता है, जो कभी खत्म नहीं होता है। इस साल ये पूजा और व्रत शुक्रवार, 31 अक्टूबर के दिन किया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग का आरंभ इस दिन से ही हुआ था। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि इस दिन भगवान विष्णु ने सृष्टि को आंवले के पेड़ के रूप में स्थापित किया था। इसलिए माना जाता है कि आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु आंवले के पेड़ में निवास करते हैं। अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे हर कार्य में सफलता मिलती है। कार्तिक मार्स के शुक्ल पक्ष की यह नवमी तिथ मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी अत्यंत शुभ मानी जाती है।

पूजा मुहूर्त

पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि इस साल 30 अक्टूबर 2025 को प्रात:काल 10:06 बजे प्रारंभ होकर अगले दिन 31 अक्टूबर 2025 को प्रात:काल 10:03 बजे तक रहेगी। अक्षय नवमी का त्योहार 31 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात:काल 06:06 बजे से लेकर 10:03 बजे तक रहेगा। पूजा करने के लिए करीब तीन घंटे का समय मिलेगा।

7 या 11 बार करें आंवले के पेड़ की परिक्रमा 

आंवला नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ पीले कपड़े पहनें और पूजा स्थान को भी साफ करें। पूजा के लिए आंवले के पेड़ की जड़ पर हल्दी, सिंदूर और रोली से तिलक करें और हल्का सा पानी चढ़ाएं। फिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाकर घी का दीपक प्रज्वलित करें। पूजा में सात या 11 बार आंवले के वृक्ष की परिक्रमा करें और प्रत्येक चरण में "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें। इसके बाद प्रसाद के रूप में आंवले के फल या उसका अचार वितरित करें।

तन और मन दोनाें के लिए लाभकारी है आंवला

यह दिन सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अहम है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवला नवमी पर पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आंवला नवमी का महत्व इसलिए भी विशेष है क्योंकि आंवला फल आयुर्वेद में अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह हृदय, आंखों, त्वचा और पाचन संबंधी समस्याओं के लिए फायदेमंद है। आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा करना और फल का सेवन करना स्वास्थ्य और आयु की दृष्टि से भी शुभ माना जाता है।

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