Devuthani Ekadashi 2025: कार्तिक मास में कई प्रमुख व्रत और त्योहार आते हैं। इसी मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि के संचालक श्री हरि विष्णु अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के दिन से चार मास की योग निद्रा में चले जाते हैं। देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक का समय चतुर्मास कहलाता है। भगवान विष्णु चतुर्मास के बाद जागते हैं और सृष्टि के संचालन का कार्यभार फिर से संभालते हैं। इस दिन के बाद से हिंदू धर्म में मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। एकादशी के अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी को तुलसी विवाह होता है। यह पर्व अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण होता है। देवउठनी एकादशी के बाद तुलसी विवाह इस दिन से सारे शुभ कार्यों की शुरुआत होने का प्रतिक है। आइए जानते हैं देवउठनी और तुलसी विवाह की परंपरा का क्या संबंध है।
