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Heramba Sankashti Chaturthi 2025: आज होगा व्रत, जानें चंद्रोदय का समय और पूजा विधि

Heramba Sankashti Chaturthi 2025 भाद्रपद हास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की पूजा और व्रत किया जाता है। इसे हेरंब संकष्टि चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार ये त्योहार 12 अगस्त को मनाया जाएगा। रात में चंद्रोदय के साथ पूजा कर व्रत का पारण होगा।

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 12, 2025 पर 10:14 AM
Heramba Sankashti Chaturthi 2025: आज होगा व्रत, जानें चंद्रोदय का समय और पूजा विधि
हेरंब संकष्टि चतुर्थी का व्रत और पूजा भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को किया जाता है।

हेरंब संकष्टि चतुर्थी 2025 का व्रत और पूजा आज 12 अगस्त 2025 को की जा रही है। यूं तो हिंदू कैलेंडर के हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल में आने वाली चतुर्थी तिथि को गणेश जी की पूजा का विधान है। लेकिन भाद्रपस मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को हेरंब संकष्टि चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि गणेश भगवान हेरंब संकष्टि चतुर्थी का व्रत करने वाले भक्तों के सभी कष्टों का निवारण करते हैं और उनकी इच्छा पूर्ण करते हैं। हेरंब संकष्टी चतुर्थी का पुराणों में बहुत महत्व बताया गया है। इस दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा और व्रत बहुत फलदायी मानी जाती है। मंगलवार के दिन पड़ने वाली हेरंब संकष्टी चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी भी कहते हैं।

कौन हैं भगवान हेरंब

हेरंब संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के हेरंब गणपति स्वरूप की पूजा की जाती है, जो उनके 32 रूपों में से एक है। गणेश जी का हेरंब स्वरूप पांच सिर और दस भुजाओं वाला है और इसका वाहन सिंह है। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार हेरंब शब्द ‘हे’ और ‘रंब’ दो शब्दों से मिल कर बना है। इसमें 'हे' का मतलब असहाय है और 'रम्ब' का अर्थ है सुरक्षा करना, यानी हेरंब का मतलब हुआ 'असहाय की रक्षा करने वाले'। पुराणों में विकट मुश्किलों का निवारण करने के लिए भगवान गणेश के हेरंब स्वरूप की पूजा का विधान बताया गया है।

हेरंब संकष्टि चतुर्थी का व्रत कैसे होता है

हेरंब संकष्टि चतुर्थी का व्रत सुबह सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक किया जाता है। रात में चंद्रा के दर्शन कर, उनको अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण होता है। कहीं-कहीं भक्त इस व्रत को निर्जला भी रखते हैं।

कब होगी पूजा

पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी 12 अगस्त 2025 को प्रात:काल 08:40 से प्रारंभ होकर 13 अगस्त 2025 को प्रात:काल 06:35 बजे तक रहेगी। ऐसे में चंद्रोदय के अनुसार यह व्रत 12 अगस्त 2025, को मनाया जाएगा।

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