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Panchak 2025: आज से लग रहा है पंचक, जानें गुरुवार को लगने वाले पंचक में क्या काम नहीं करने चाहिए?

Panchak 2025: शुभ-अशुभ कार्य करते समय जिन चीजों का विचार किया जाता है, उनमें पंचक भी है। पंचक पांच दिनों का अशुभ समय होता है, जिसमें कई तरह के शुभ, अशुभ और रोजमर्रा के काम नहीं किए जाते हैं। गुरुवार या बुधवार से शुरू होने वाले पंचक दोषरहित पंचक होते हैं।

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 27, 2025 पर 10:21 AM
Panchak 2025: आज से लग रहा है पंचक, जानें गुरुवार को लगने वाले पंचक में क्या काम नहीं करने चाहिए?
पंचक हर महीने लगभग पांच दिनों के लिए लगता है।

Panchak 2025: सदियों से चली आ रही सनातन परंपराओं में शुभ ही नहीं अशुभ कार्यों में भी दिन, समय और मुहूर्त देखने की मान्यता रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से उस कार्य का सर्वोत्तम फल मिलने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं, अशुभ काल या मुहूर्त में किए गए अच्छे कार्यों पर भी नकारात्मकता हावी हो जाती है। इसलिए ज्योतिष ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति देखने को अहमियत देते हैं। शुभ-अशुभ कार्य करते समय जिन चीजों का विचार किया जाता है, उनमें पंचक भी है। पंचक पांच दिनों का अशुभ समय होता है, जिसमें कई तरह के शुभ, अशुभ और रोजमर्रा के काम नहीं किए जाते हैं।

आज दोपहर से लगेगा पंचक

पंचांग के अनुसार, नवंबर का दूसरा और आखिरी पंचक 27 नवंबर 2025, गुरुवार को दोपहर 02:07 बजे से प्रारंभ होकर 01 दिसंबर 2025, सोमवार की रात को 11:18 बजे खत्म होगा। गुरुवार से शुरू होने वाला ये दोषरहित पंचक होगा। साल 2025 का आखिरी पंचक 24 दिसंबर 2025, बुधवार की शाम को 07:46 बजे से प्रारंभ होकर 29 दिसंबर 2025, सोमवार को प्रात:काल 07:41 बजे समाप्त होगा। यह भी दोषरहित पंचक होगा।

हर महीने लगता है पंचक

हर महीने पांच दिनों के लिए पंचक लगता है। यह शुभ और अशुभ दोनों तरह के होते हैं। यह पंचक के शुरू होने के दिन पर निर्भर करता है। धार्मिक दृष्टि से पंचक शादी विवाह के लिए लाभदायक नहीं माना गया है। नवंबर में 27 तारीख से पंचक की शुरुआत होने जा रही है।

पांच नक्षत्रों में चंद्रमा का गोचर है पंचक

पंचक हर महीने लगभग पांच दिनों के लिए लगता है। यह पांच नक्षत्रों – धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती, के संयोग से बनने वाला विशेष समय होता है। यह अवधि तब शुरू होती है जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम चरण से शुरू होकर रेवती नक्षत्र के अंत तक गोचर करता है, जो कि कुंभ और मीन राशि में होता है।

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