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Utpanna Ekadashi 2025: आज एकादशी व्रत में न करें ये गलतियां, नाराज हो जाएंगे भगवान विष्णु और नहीं मिलेगा व्रत का फल

Utpanna Ekadashi 2025: आज उत्पन्ना एकादशी का व्रत है। आज के दिन भगवान विष्णु के साथ एकादशी माता की भी पूजा की जाती है। माना जाता है कि आज ही के दिन एकादशी माता की उत्पत्ति हुई थी। आज के दिन कुछ गलतियां करने से बचना चाहिए, वर्ना भगवान विष्णु नाराज हो जाते हैं।

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 15, 2025 पर 8:44 AM
Utpanna Ekadashi 2025: आज एकादशी व्रत में न करें ये गलतियां, नाराज हो जाएंगे भगवान विष्णु और नहीं मिलेगा व्रत का फल
माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु के तेज से एकादशी माता की उत्पत्ति हुई थी।

Utpanna Ekadashi 2025: उत्पन्ना एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। हर साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा और व्रत रखने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु के तेज से एकादशी माता की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस तिथि का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा। एकादशी माता ने बाद में मुरासुर नाम के राक्षस का संहार कर समस्त संसार को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। एकादशी माता सभी पापों का नाश करने वाली मानी जाती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूरे साल एकादशी का व्रत करने का संकल्प लेने वाले भक्त इसी एकादशी व्रत से शुरुआत करते हैं। इस दिन माता एकादशी के साथ भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन कुछ विशेष गलतियां करने से बचना चाहिए, वर्ना व्रत का फल भी नहीं मिलता है। आइए जानें इनके बारे में

तुलसी दल अर्पित न करना : एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन उन्हें तुलसी दल अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। यदि इस दिन तुलसी नहीं चढ़ाई जाए तो पूजा अधूरी मानी जाती है।

दीपक जलाना भूल जाना : उत्पन्ना एकादशी के दिन पूजा के समय दीपक जलाना और शाम को भगवान विष्णु के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाना अनिवार्य माना गया है। दीपक जलाए बिना पूजा करने से पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है।

चावल का सेवन करना : एकादशी तिथि पर अनाज, विशेषकर चावल का सेवन नहीं करने का नियम है। शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी के दिन अनाज ग्रहण करना पाप समान होता है। इस दिन केवल फलाहार या सात्त्विक भोजन ही करना चाहिए।

झूठ या कटु वचन न बोलें : उत्पन्ना एकादशी का व्रत मन और वाणी की पवित्रता से जुड़ा है। इस दिन झूठ बोलना, कटु शब्द कहना या किसी की निंदा करना व्रत की ऊर्जा को कमजोर करता है। पूरे दिन शांत और संयमित रहने की कोशिश करें।

तामसिक भोजन से परहेज करें : उत्पन्ना एकादशी के दिन तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन का सेवन वर्जित है। यह भोजन मन को अशांत करता है और व्रत के पुण्य को घटाता है। इस दिन सात्विक भोजन और फलाहार ही ग्रहण करें।

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