'जब आप कुछ नहीं होते तो आपके साथ कोई भी नहीं होता...जब आप कुछ हो जाते हो तो फिर आपके साथ काफी लोग दिखते हैं। शुरुआत में तो मुझपर किसी को भरोसा ही नहीं था...लोग मेरे मां-बाप से कहते थे कि इसपर पैसे क्यों बर्बाद कर रहे हो, आज वहीं लोग जब मेरी तारीफ करते हैं तो मुझे सबसे ज्यादा सुकून मिलता है।', ये सारे शब्द शीतल देवी ने खुद हमसे बात करते हुए कहे। शीतल देवी, पैरों से धनुष चलाने वाली कमाल की खिलाड़ी। एक कुर्सी पर बैठकर अपने दाहिने पैर से धनुष उठाना, फिर दाहिने कंधे का इस्तेमाल कर स्ट्रिंग को पीछे खींचना और जबड़े की ताकत से तीर को छोड़ना... शीतल देवी को आर्चरी करते देखना ऐसा है मानो किसी जादूगर ने अभी कमाल का जादू दिखाया हो और आप अपनी आंखों पर यकीन ना कर पा रहे हो।