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नदी के बीच पुल कैसे बनता है? देखकर डर जाएंगे आप

Amazing facts: आजकल नदियों पर पुल बनाना आम बात हो गई है, लेकिन इनकी नींव गहरे पानी में डालना आसान नहीं है। तेज बहाव और गहराई में काम करना मजदूरों के लिए बेहद खतरनाक होता है। इंजीनियर और मजदूर खास तकनीकें अपनाकर पानी को रोके, सुरक्षित जगह बनाकर मजबूत नींव तैयार करते हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 23, 2025 पर 4:19 PM
नदी के बीच पुल कैसे बनता है? देखकर डर जाएंगे आप
Amazing facts: कभी-कभी नदी का पानी बहुत गहरा होता है और कॉफर्डैम काम नहीं आता।

आजकल भारत में सड़क और रेल यात्रा को आसान बनाने के लिए नदियों पर नए पुल बन रहे हैं। ये पुल लोगों की यात्रा को तेज और सुरक्षित बनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन बड़े पुलों की नींव गहरे पानी में कैसे डाली जाती है? जमीन पर पिलर्स लगाना आसान लगता है, लेकिन नदी के तेज बहाव और गहराई में काम करना मजदूरों के लिए बहुत खतरनाक होता है। एक छोटी सी गलती पूरे काम को बर्बाद कर सकती है। इसलिए इंजीनियर और मजदूर खास तकनीकें और सुरक्षा उपाय अपनाते हैं। ये तकनीकें पानी को रोककर एक सुरक्षित जगह बनाती हैं, जहां नींव डाली जा सके। अगली बार जब आप किसी पुल से गुजरें, तो सोचिए कि इसके पीछे कितनी मेहनत, साहस और सावधानी छिपी है।

कॉफर्डैम

नदी के बीच पुल की नींव डालने के लिए सबसे आम तरीका है कॉफर्डैम (Cofferdam)। ये एक अस्थायी ढांचा होता है, जो पानी को रोककर एक सूखी जगह बनाता है। इस जगह पर ही पुल की नींव बनाई जाती है। सबसे पहले इंजीनियर नदी की गहराई, बहाव की तेजी और मिट्टी की मजबूती मापते हैं। फिर तय होता है कि कितने पिलर्स होंगे और उनकी गहराई कितनी होगी। कॉफर्डैम बनाने के लिए स्टील की लंबी शीट पाइल्स (10-20 मीटर) का इस्तेमाल होता है। इन्हें हाइड्रोलिक हथौड़े या वाइब्रेटर से नदी के तल में ठोंका जाता है। ये पाइल्स एक-दूसरे में जुड़कर गोल या चौकोर दीवार बना देती हैं, जो पानी को अंदर आने से रोकती है।

पानी हटाना और नींव डालना

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